साल 2020 में उत्तराखंड में आदमखोर तेंदुओं के हमलों में भारी इजाफा हुआ है। वन अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोनोवायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने जंगली जानवरों को मानव निवास के करीब ला दिया है।
टाइम ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, इस साल राज्य में 24 लोग तेंदुए के हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। यह पिछले साल की तुलना में 30% से अधिक की वृद्धि है जब राज्य में तेंदुए के हमलों में 18 लोगों की मौत हो गई थी। बता दें कि शनिवार 24 अक्टूबर को नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में एक तेंदुए ने एक 45 वर्षीय महिला की हत्या कर दी थी। पिछले हफ्ते अकेले नैनीताल जिले में तेंदुए के हमलों के कारण तीन महिलाओं की मौत हुई।
मानव-वन्यजीव संघर्ष में इस अभूतपूर्व वृद्धि के मद्देनजर, न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों के वैज्ञानिक भी लॉकडाउन के बीच संभावित संबंध और मानव आवासों में जंगली जानवरों के घुस जाने की वृद्धि का अध्ययन कर रहे हैं। 22 जून को प्रकाशित “नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन” नामक पत्रिका में यह घोषणा की गई थी कि अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने जानवरों के व्यवहार और तनाव के स्तर की जांच के लिए एक ‘कंसोर्टियम-कोविड-19 बायो-लॉगिंग इनिशिएटिव’ का गठन किया है।
इन वैज्ञानिकों ने सहमति व्यक्त की है कि स्तनधारियों, जलीय प्रजातियों और पक्षियों के व्यवहार में सूक्ष्म परिवर्तन कोविड-19 के प्रकोप के बाद शूट किए गए विभिन्न वीडियो में देखे गए हैं। उत्तराखंड में भी, वन अधिकारियों का कहना है कि तेंदुए के हमलों में तेजी के पीछे एक संभावित कारण लॉकडाउन हो सकता है।