2014 में चकराता घूमने आए पश्चिम बंगाल के दिल्ली में कार्यरत चित्रकार अभिजीत पोल व उनकी मित्र फाइन आर्ट टीचर की हत्या के मामले में चारों दोषियों को सजा सुनाई है। शुक्रवार को देहरादून के विकासनगर के सिविल न्यायालय जज मोहम्मद सुल्तान ने चारों दोषियों को सजा सुना दी। इस दोषी लोगों को हत्या और लूट का दोषी करार दिया है। मुख्य दोषी ड्राइवर राजुदास को फांसी, जबकि तीन अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिली है।
वर्ष 2014 में चकराता की शांत वादियों में दिल दहला देने वाले पर्यटक जोड़े के दोहरे हत्याकांड में साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बलात्कार के आरोप से दोष मुक्त कर दिया गया था। कोर्ट ने ड्राइवर राजू दास को फांसी की सजा और अन्य तीन कुंदन दास पुत्र नैनू दास, बबलू पुत्र ध्यानू दास, गुड्डू दास पुत्र खानिया को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
जानिए, क्या हुआ था 2014 में उस दिन-
23 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली निवासी फाइन आर्ट टीचर मोमिता दास अपने चित्रकार मित्र अभिजीत पॉल के साथ चकराता घूमने आई थी। अभिजीत मूल से पश्चिम बंगाल का निवासी था, जो कुछ सालों से दिल्ली में कल्याण निवास लाडोसराय इलाके में रह रहा था। मोमिता और अभिजीत ने घूमने के लिए उस दिन चकराता बस स्टैंड से राजूदास का बोलेरो वाहन बुक कराया।
ड्राईवर राजू ने रस्ते में अपने अन्य साथियों को भी गाडी में बिठा दिया था, उसके बाद राजू और उसके साथियों ने अभिजीत की रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी, बाद में दुष्कर्म के बाद मोमिता का भी कत्ल कर दिया। इसके बाद दोनों के शव को अलग अलग जगह फैंक दिया था अभिजीत का शव 31 अक्टूबर और मोमिता का सड़ा गला शव 13 नवंबर 2014 को उत्तरकाशी के पुरोला में खाई से बरामद हुआ।
देहरादून और उत्तरकाशी जिले की पुलिस के साथ ही दिल्ली के साकेत थाने की पुलिस भी इस मामले में जांच में जुट गयी थी, मोमिता के मोबाइल ने इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझा दी थी, तब आरोपी राजू मोमिता के मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था, तभी पुलिस ने राजू को गिरफ्तार कर उनको दोस्तों को भी गिरफ्तार कर लिया था।
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