सहसपुर: उत्तराखंड में नाबालिग बच्चों द्वारा 8 साल की नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अदालत ने हैरान कर देना वाला बताया है। इस घटना के बाद पुरे उत्तराखंड में भारी रोष देखने को मिल रहा है। सोमवार को पुलिस ने पांचों आरोपितों को किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट भवदीप रावत के समक्ष पेश किया।
मजिस्ट्रेट ने पांचों नाबालिगों से अलग-अलग बयान लिए। इसके बाद उन्हें बाल सुधार भेज दिया। अदालत ने अश्लील फिल्म बच्चों के पास कहां से आई, इसकी भी जांच करने के आदेश दिए हैं। आरोपितों के बयानों से हैरान अदालत ने अभिभावकों को न केवल चेताया, बल्कि उनका फर्ज भी याद दिलाया। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि बच्चों के सबसे पहले संरक्षक माता-पिता हैं। वे बच्चों से मोबाइल फोन को दूर रखें।
मामला सहसपुर थानाक्षेत्र के एक गांव का है जहां गांव में ही रहने वाली आठ साल की मासूम घर के बाहर अकेले खेल रही थी। इस दौरान पड़ोस में रहने वाले पांच नाबालिग लड़के टॉफी देने के बहाने बच्ची को अपने घर ले गए और फिर सभी ने उसके साथ गैंगरेप किया। बताया जा रहा है कि इस दौरान घर के किसी शख्स के आने पर नाबालिग मौके से फरार हो गए। घटना के बाद से बच्ची डरी सहमी रहने लगी।
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परिजनों ने उससे गुमसुम रहने का कारण पूछा तो उसने सारी बात बताई। बता दें कि पीड़िता की मां की तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए सभी नाबालिगों को हिरासत में ले लिया था। पूछताछ में नाबालिगों ने बताया कि रेप की वारदात से पहले सभी ने फोन पर एक पॉर्न फिल्म देखी थी, जिसके बाद बच्ची को टॉफी देने के बहाने घर बुलाकर रेप की वारदात को अंजाम दिया। सहसपुर के थानाध्यक्ष नरेश राठौर के अनुसार दुराचार करने वाले आरोपियों की उम्र 9 से 14 साल के बीच है। ')}