मैक्स अस्पताल देहरादून ने हाल ही में अपनी तरह के पहले सफल किडनी ट्रांसप्लान्ट के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। 56 वर्षीय मरीज पिछले 3 महीनों से हीमोडायलिसिस पर था।
सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में मैक्स हास्पिटल के डाॅ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि 10 फीसदी व्यस्क आबादी क्रोनिक किडनी रोगों (सीकेडी) से पीड़ित है, जिसके कई कारण हैं जैसे डायबिटीज़/ मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पथरी और कुछ आनुवंशिक बीमारियां आदि। आमतौर पर यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और एक स्थिति ऐसी आती है जब मरीज़ अंतिम अवस्था के किडनी रोग (एंड स्टेड रीनल डीज़ीज़) पर पहुंच जाता है।
मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप के बढ़ते मामलों के कारण देश में हर साल ईएसआरडी के 2.5 लाख नए मरीज़ सामने आते हैं लेकिन इनमें से 1 फीसदी से भी कम मामलों (10,000 मामलों) में ट्रांसप्लान्ट हो पाता है।
मरीज के बारे में बात करते हुए डाॅ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि मरीज़ को मधुमेह के कारण किडनी रोग हो गया था और पिछले तीन महीनों से वह हीमोडायलिसिस पर था। डीकडी को अलावा उसे इश्केमिक हार्ट डीजीज भी थी, जिसके कारण हमारे लिए उसका इलाज करना और भी चुनौतीपूर्ण था।
मरीज़ एवं डोनर (मरीज़ की पत्नी) की अच्छी तरह जांच एवं काउन्सलिंग के बाद ट्रांसप्लान्ट का फैसला लिया गया। सर्जरी 6 घण्टे तक चली और पूरी तरह से सफल रही। डोनर और मरीज़ दोनों को सर्जरी के 10 दिनों केे अंदर छुट्टी दे दी गई।
किडनी ट्रांसप्लान्ट के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताते हुए डाॅ पुनीत अरोड़ा ने कहा कि ट्रांसप्लान्ट के बाद मरीज़ को कम से कम तीन सप्ताह तक नेफ्रोलोजिस्ट से मिलना चाहिए और इसके बाद एक साल तक महीने में कम से कम एक बार अपनी जांच ज़रूरी करवानी चाहिए।
डाॅ संदीप सिंह तंवर वाईस प्रेज़ीडेन्ट- आॅपरेशन्स एण्ड युनिट हैड, मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल ने कहा, ‘‘हमें अपनी टीम पर गर्व है क्योंकि अब क्षेत्र के मरीज अपने राज्य में ही विश्वस्तरीय किडनी ट्रांसप्लान्ट सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। किडनी ट्रांसप्लान्ट की सफलता राज्य में अंग प्रत्यारोपण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।’’ ')}