आपातकाल की गंभीर स्थिति वाले रोगियों की सहायता और उनके इलाज में चिकित्सीय अनुभव प्रदान करने के लिए एम्स ऋषिकेश में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य देखभाल कर्ताओं और हेल्थ वर्करों को विभिन्न प्रकार की स्किल ट्रेनिंग दी गई।
दुर्घटना से सम्बन्धित आपात स्थिति के घायल मरीज अथवा इमरजेन्सी वाले अन्य गंभीर मरीजों के इलाज की न केवल चिकित्सा पद्धति अलग होती है, वरन ऐसे मरीजों के क्लीनिकल मैनेजमेन्ट के लिए चिकित्सकों को भी विभिन्न स्वास्थ्य तकनीकों का पूर्ण अनुभव होना जरूरी है। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर एम्स ऋषिकेश के आपातकालीन चिकित्सा विभाग और ट्रॉमा सर्जरी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में उत्तराखंड स्टेट कांउसिल फॉर साईंस एंड टेक्नालॉजी (यूकोस्ट) एवं कार्डियो डायबिटिक सोसाईटी के सहयोग से चिकित्सकों और तकनीशियनों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में एडवांस स्किल्स से संबंधित बेसिक ऑफ इमरजेन्सी ब्रोन्कोस्कॉपी, इलाज के दौरान दर्द कम करने के लिए नसों को ब्लॉक करना, इमरजेन्सी थोरेकोटाॅमी, दिमाग में बहे खून को निकालने की प्रक्रिया एक्सटर्नल वैन्ट्रिकुलर ड्रेनेज, टोडी इको अल्ट्रासाउण्ड, हृदय (दिल) के चारों ओर भरे पानी को निकालने की तकनीक पेरीकॉर्डियो सिन्टेसिस और मरीज को वेन्टिलेटर पर रखे जाने के दौरान अपनायी जाने वाली प्रक्रिया इन्टुवेशन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देकर अनुभव प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि आपातकालीन चिकित्सा पद्धति गंभीर व तीव्र बीमारी अथवा दुर्घटना के कारण चोट लगने वाले रोगियों के तत्काल स्वास्थ्य मूल्यांकन, निदान, पुनर्जीवन और उपचार हेतु अपनायी जाने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि इमजेन्सी विभाग में कार्यरत प्रत्येक हेल्थ केयर वर्कर को इस चिकित्सा पद्धति का अनुभव होना बहुत जरूरी है। प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से प्रतिभागियों की न केवल स्किल्स विकसित होती है, वरन उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में भी दक्षता हासिल करने का अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने इस प्रशिक्षण को बहुलाभकारी बताया।
इस एडवांस्ड कैडवर बेस्ड इमरजेन्सी स्किल (ए.सी.ए.एस.) कार्यशाला को यूकोस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पन्त, एम्स की डीन ऐकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आर.बी. कालिया सहित विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे इमरजेन्सी चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने संबोधित किया और प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के 50 से अधिक डॉक्टरों, रेजिडेन्ट्स और हेल्थ केयर वर्करों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान ट्रॉमा इमरजेन्सी विभाग के हेड डॉ. कमर आजम, इमरजेंसी मेडिसिन की विभागाध्यक्ष डॉ. निधि कैले, ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल, डॉ. रविकान्त, डॉ. वरूण कुमार, डॉ. रजनीश अरोड़ा, डॉ. ब्रिजेन्द्र सिंह, एम्स दिल्ली के डॉ. संजीव भोये, निम्स हैदराबाद के डॉ. आशिमा शर्मा, एम्स भुवनेश्वर के डॉ. उपेन्द्र हंसदा, एम्स गोरखपुर की डॉ. अंकिता कावी और हिमालयन अस्पताल जौलीग्रान्ट के डॉ. रोहन भाटिया सहित कई विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल रहे। कार्यशाला में दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज (पौड़ी गढ़वाल) के ट्रॉमा व इमरजेन्सी विभाग के विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों ने विशेष तौर से प्रतिभाग किया।