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Uttarakhand Newsदेहरादून

अमृता अस्पताल उत्तर भारत में कार-टी सेल थेरेपी कार्यक्रम शुरू करने वाला पहला केंद्र

Last updated: January 4, 2024 4:10 pm
Debanand pant
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8 Min Read
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अमृता अस्पताल ने ब्लड कैंसर रोगियों के लिए कार टी-सेल थेरेपी शुरू करने के लिए आईआईटी-बॉम्बे इनक्यूबेटेड ‘इम्यूनोएक्ट’ के साथ किया सहयोग

अमृता अस्पताल उत्तर भारत में कार-टी सेल थेरेपी कार्यक्रम शुरू करने वाला पहला केंद्र है

देहरादून- 04 जनवरी 2024: अमृता अस्पताल ने, इम्यूनोएक्ट के सहयोग से, जो एक आईआईटी-बॉम्बे इनक्यूबेटेड कंपनी है, कुछ विषेश कैंसर रोगियों के लिए कार टी-सेल (काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर) थेरेपी शुरू की है, जिसे बी सेल लिंफोमा और ल्यूकेमिया उपचार में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जाता है, जिसके परिणाम उन रोगियों के लिए आशाजनक हैं जिन्हें दोबारा कैंसर हुआ है। अब तक बी-सेल लिंफोमा के चार मरीज अमृता अस्पताल में इस थेरेपी को ले चुके हैं या ले रहे हैं और वो फॉलो-अप में हैं।

कार टी-सेल थेरेपी आमतौर पर भारत में उपलब्ध नहीं है और देश में बहुत कम क्लिनिकल सेंटर्स के पास इसे प्रदान करने की पहुंच और विशेषज्ञता है। इसमें प्रयोगशाला में रोगी की टी कोशिकाओं को जेनेटिकली मॉडिफाई करना शामिल है, जिससे उन्हें विशेष रूप से स्पेसिफिक कैंसर सैल्स पर हमला करने में सक्षम बनाया जा सके। इसके बाद इन टी कोशिकाओं को रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है।

अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के मेडिकल ऑन्कोलॉजी/हेमेटोनकोलॉजी/बीएमटी विभाग के सीनियर कंसलटेंट और प्रोग्राम डायरेक्टर (लिम्फोइड नियोप्लाज्म और सेल्युलर थेरेपी) डॉ. प्रशांत मेहता ने कहा, “पिछले कुछ दशकों में कैंसर के उपचार में काफी सुधार हुआ है, और अब हम एक ऐसे युग में हैं जहां हम अन्य अंगों या पूरे शरीर पर कम प्रभाव के साथ, अपनी इम्यूनिटी की ताकत का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से टार्गेट कर सकते हैं। हमारी इम्यून कोशिकाओं का उपयोग करने का एक नया और एडवांस तरीका कार टी-सेल थेरेपी है, जो ‘जीवित दवाओं’ से बना है। कार-टी सेल एक मरीज के जीवित टी-लिम्फोसाइट्स हैं जिन्हें कैंसर कोशिकाओं की सतह पर विशिष्ट प्रोटीन को टार्गेट करने और उन्हें मारने के लिए जेनेटिकली रीप्रोग्राम किया जाता है। इस प्रकार का ‘सेलुलर थेरेपी’ इलाज अब तक केवल स्पेसिफिक प्रकार के ब्लड कैंसर (बी-सेल लिंफोमा, बी-सेल ऑल और मल्टीपल मायलोमा) के लिए बहुत प्रभावी साबित हुआ है।

इस थेरेपी के लिए कार-टी सेल्स की सोर्सिंग और निर्माण आईआईटी बॉम्बे इनक्यूबेटेड कंपनी इम्यूनोएक्ट के सहयोग से किया जा रहा है। अपने महत्वपूर्ण फेज I/II क्लिनिकल ट्रायल्स के सफल होने के बाद, इम्यूनोएक्ट को अक्टूबर 2023 में ल्यूकेमिया और रिलैप्स्ड/रेफ्रैक्टरी बी-सेल लिंफोमा के उपचार के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) से अपने कार-टी सेल थेरेपी उत्पाद (ब्रांड नाम “नेक्सकार19″) के लिए मार्केटिंग ऑथराइजेशन प्राप्त हुआ है। नेक्सकार19 भारत की पहली व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कार-टी थेरेपी है जो पूरी तरह से एकीकृत और स्वदेशी रूप से विकसित कार-टी थेरेपी है।

इम्यूनोएक्ट के संस्थापक और सीईओ – डॉ. राहुल पुरवार के अनुसार, ”हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से भारत में अत्याधुनिक सेल और जीन थेरेपी उत्पाद उपलब्ध हों जो किफायती मूल्य पर मरीजों के लिए उपलब्ध हों। हमें एडवांस दवाओं के क्षेत्र में भारत को वर्ल्ड मैप पर लाने की जरूरत है।” इम्यूनोएक्ट के को-फाउंडर और डायरेक्टर- स्ट्रेटजी और बिजनेस डेवलपमेंट शिरीष आर्य ने कहा, “नेक्सकार19 के क्लिनिकल परिणामों को प्रभावकारिता और इसकी सुरक्षा प्रोफाइल पर बेहतर प्रदर्शन के मामले में विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ के साथ बेंचमार्क किया गया है। हमें भारत में समाज के सभी वर्गों के मरीजों के लाभ के लिए इस भारत-निर्मित उत्पाद को लॉन्च करने के लिए अमृता हॉस्पिटल के साथ साझेदारी करने पर बहुत गर्व है।”

इस प्रक्रिया में मरीज के सफेद ब्लड सेल्स को निकाला जाता है। इस प्रकार निकाले गए टी लिम्फोसाइट्स को उनकी सतह पर काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर) को व्यक्त करने के लिए संशोधित किया जाता है। इस प्रक्रिया में 3-4 हफ्ते का समय लगता है, जिसके बाद कंडीशनिंग कीमोथेरेपी के बाद इन कोशिकाओं को रोगी में वापस इंफ्यूज किया जाता है। यह ‘जीवित दवा’ कई महीनों और वर्षों तक रोगी के शरीर में रह सकती है, सभी अवशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है और यहां तक कि प्रतिरोधी कैंसर का भी इलाज कर सकती है। कीमोथेरेपी के विपरीत, कार टी-सेल थेरेपी आम तौर पर रोगी को केवल एक बार दी जाती है और कुछ विशिष्ट प्रकार के कैंसर के लिए स्थायी इलाज का वादा करती है।

डॉ प्रशांत मेहता ने आगे कहा, “वर्तमान में, कार टी-सेल थेरेपी रिलैप्स्ड/रेफ्रैक्टरी बी सेल ऐएलएल में सहायक है, फिर भी, यह उन रोगियों में एलोजेनिक बीएमटी के लिए स्टॉपगैप उपाय के रूप में सबसे अच्छा काम करता है जो व्यापक उपचार के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसी तरह, यह रिलैप्स्ड/रेफ्रैक्टरी बी सेल लिंफोमा और मायलोमा में उपयोगी है। यह थेरेपी सभी रोगियों के लिए काम नहीं करती है, और मरीज को इसे लेने से पहले ऑन्कोलॉजिस्ट से चर्चा करनी चाहिए कि क्या वे इस उपचार के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं। कार टी-सेल थेरेपी, हाई ग्रेड बी सेल लिंफोमा रोगियों में 70% की रेसपॉन्स रेट और लगभग 40% की दीर्घकालिक इलाज दर प्रदान कर सकती है। रिलैप्स्ड/रिफ्रैक्टरी बी सेल ऑल (एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया) में रेसपॉन्स रेट 90% है और कार टी-सेल थेरेपी के लिए दीर्घकालिक इलाज दर लगभग 60% है।

अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के मेडिकल डायरेक्टर डॉ संजीव सिंह ने कहा, “अमृता अस्पताल में कार टी-सेल थेरेपी का एडमिनिस्ट्रेशन और भी कई सारे रोगियों के लिए इस उपचार का लाभ उठाने का द्वार खोलता है, क्योंकि यह थेरेपी अब तक अधिकांश भारतीयों की पहुंच से बाहर रही है। हम कार इम्यूनोथेरेपी के क्षेत्र में भारत और विदेशों में रिसर्चर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और इसका लक्ष्य जरूरतमंद लोगों के लिए कार इम्यून सेल थेरेपी तक पहुंच में सुधार करना है। अब हम एक राष्ट्रीय स्तर की सहयोगी सेल थेरेपी लैब विकसित कर रहे हैं जो बड़े पैमाने पर मरीजों की जरूरतों को पूरा करेगी। इसका लक्ष्य हमारे अपने अस्पताल में ‘संस्थागत कार टी-सेल’ विकसित करना है जो इस उपचार तक पहुंच में सुधार करेगा और इसे अधिकांश भारतीय आबादी की पहुंच में लाएगा।”

“अमृता अस्पताल, फरीदाबाद उत्तरी भारत में कार-टी सेल थेरेपी कार्यक्रम शुरू करने वाला पहला केंद्र है।”

अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद और इम्यूनोएक्ट के बीच यह रणनीतिक साझेदारी यह सुनिश्चित करेगी कि सभी वर्गों के मरीजों को इस जीवन रक्षक एडवांस दवा से लाभ मिल सके।

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