देश में कुपोषण की क्या हालत है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दुनिया के 23 फीसदी से ज्यादा कुपोषित लोग भारत में रहते हैं। उत्तराखंड में भी कुपोषित बच्चों की बड़ी संख्या है, इसमें कई बच्चे अतिकुपोषित हैं इस समस्या को खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर पूरी तरह दूर करने की योजना बनाई गई, मुख्यमंत्री की और से विगत वर्ष सितम्बर माह में ‘‘कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान’’ की शुरूआत की गई थी।
इसके बाद मुख्यमंत्री सहित मंत्रीगणों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने चिन्हित अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया था। अब इस योजना के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा गोद लिए गए कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है।
कुपोषित बच्चों को न केवल गोद लिया गया बल्कि संबंधित जनप्रतिनिधि व अधिकारी, इन बच्चों के अभिभावकों के लगातार सम्पर्क में रहे। इसके सार्थक परिणाम भी मिल रहे हैं। 06 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो चुके हैं, जबकि 11 बच्चों की ग्रेड में सुधार हुआ है और 207 बच्चों के वजन में वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि, ‘‘कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी जिम्मेवारी लेने की पहल की गई थी। इसके सुखद परिणाम मिलने लगे हैं। बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। हमारा उद्देश्य प्रदेश को कुपोषण से पूरी तरह से मुक्त करना है। लगभग सभी गोद लिए गए बच्चों के वजन में संतोषजनक वृद्धि हुई है। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी गोद लिए बच्चे कुपोषण से मुक्त होंगे।’’