उत्तराखंड के जोशीमठ में तमाम घरों और इमारतों में दरार आने के बाद सरकार एक्टिव मोड में आई गई है. जोशीमठ को लेकर लागातार समीक्षा बैठक चल रही है. लोगों के नुकसान और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का काम तेजी से जारी है. इस बीच सरकार ने जोशीमठ को भूस्खलन और धंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया है. इसके साथ ही दरकते शहर के क्षतिग्रस्त घरों में रह रहे 60 से अधिक परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में शिफ्ट किया गया है मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने जोशीमठ की स्थिति की उच्च स्तरीय समीक्षा की है. भारत सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करने में राज्य सरकार की सहायता कर रहे हैं. एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं. प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
सचिव सीमा प्रबंधन और एनडीएमए के सदस्य कल उत्तराखंड का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेंगे. गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने हिमालयी शहर में चार-पांच स्थानों पर राहत केंद्र स्थापित किए हैं तथा कम से कम 90 और परिवारों को निकाला जाना है. इस बीच, चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना नुकसान का आकलन करने के लिए प्रभावित क्षेत्र में घर-घर गए और दरार वाले मकानों में रह रहे लोगों से राहत केंद्रों में जाने की अपील की.
कुमार ने बताया कि जोशीमठ को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित किया गया है और प्रभावित घरों में रह रहे 60 से अधिक परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि नुकसान के स्तर को देखते हुए कम से कम 90 और परिवारों को जल्द से जल्द निकालना होगा. बृहस्पतिवार से जोशीमठ में डेरा डाले हुए कुमार जमीनी स्तर पर स्थिति की निगरानी करने वाली एक समिति के प्रमुख हैं.
उन्होंने कहा कि जोशीमठ में कुल 4,500 इमारतें हैं और इनमें से 610 में बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे वे रहने लायक नहीं रह गई हैं. उन्होंने कहा कि एक सर्वेक्षण चल रहा है और प्रभावित इमारतों की संख्या बढ़ सकती है. कुमार ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र और उन घरों जिनमें पहले दरारें पड़ गई थीं तथा जिनमें हाल में दरारें पड़ी हैं, की वजह से एक बड़ी चापाकार आकृति बन गई है जो 1.5 किलोमीटर के दायरे में फैली हो सकती है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में चार-पांच सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी राहत केंद्र बनाए गए हैं.