पिछले एक दशक मे उत्तराखंड के कई स्थानों पर कृषि में विविधिता आई है, जिससे किसानों की आय मे भी वृद्धी हुई है। लेकिन पारंपरिक फसलों की अनदेखी के चलते इनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गयी हैं। इन्हीं मे से एक काला भट्ट है जिसकी दिन प्रति दिन पैदावार कम हो रही है। लेकिन इस काले भट्ट की अन्तराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है।
पहाड़ी क्षेत्रों मे भट्ट की कई किस्मे हैं, जिसमे काला चपटा मुख्य किस्म है। राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय बाज़ार में काला भट्ट की भारी मांग है आपको बता दें कि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड अत्यधिक मात्रा मे पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी होता है। उत्तराखंड में इसकी परम्परागत खेती होती थी लेकिन आज के समय में यह बहुत कम हो गयी है।
इस कमी के चलते हिमालयन एक्शन रिसर्च सेंटर (हार्क) ने वर्ष 2016 मे 200 किसानों के साथ काला भट्ट का उत्पादन कार्यक्रम जनपद चमोली के हापला क्षेत्र मे किया। इसी उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत किसानो का काला भट्ट की खेती को लेकर तकनीकी ज्ञान व क्षमता विकास किया गया।
इसके परिणामस्वरूप स्वयं की खपत के इलावा किसानों के द्वारा रिकार्ड 1500 किलो ग्राम काला भट्ट विक्रय किया गया। भविष्य मे ये किसान काला भट्ट के बीज की पूर्ति करेंगे ओर अपनी व अन्य किसानों की खाद्य व आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने मे योगदान देंगे। बाजार में ब्लैक सोयाबीन की कीमत करीब 170 रूपये से 200 रूपये प्रतिकिलो है। ')}