उत्तराखंड के नौजवानों के दिल में भारतीय सेना के प्रति कितना सम्मान और आदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है, हर दूसरा युवा सेना में जाने का प्रयास जरूर करता है। एमएलटीई सैन्य अकादमी मऊ से शनिवार को सरहद की निगहवानी के लिए देश को मिले सैन्य अधिकारियों में शामिल गैरसैंण ब्लाक के कृष्णा रावत ने पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित कर दिया। महज 21 वर्ष 11 महीने का यह जांवाज इस सैन्य बाहुल्य क्षेत्र में युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है।
गैरसैंण विकासखण्ड के दूरस्थ खनसर घाटी स्थित कण्डारीखोड गांव निवासी कृष्णा की प्रारंभिक शिक्षा गांव के समीप दिवागाड विद्या मंदिर में हुई। JSNSN गैरसैंण से 92 फीसदी अंकों के साथ 10 वीं पास की। राजकीय इंटर कालेज गैरसैण से 87 फीसद अंकों के साथ बारहवी उतीर्ण की और फिर सेना की तैयारियों में जुट गए, 2016 में एनडीए के समकक्ष टेक्निकल एंट्री स्कीम के इंटरब्यू में स्क्रीन आउट हो गया, किन्तु निराश नहीं हुए व 2017 में क़वालीफाई कर 17 जुलाई को ओटीए गया जॉइन किया जहाँ एक वर्ष के बेसिक सैन्य प्रशिक्षण पश्चात टेक्निकल ट्रेनिग में लिए एमएलटीई मऊ में 3 वर्ष तक जम कर पसीना बहाया।
शनिवार 12 जून को “भारत माता तेरी कसम, तेरे रक्षक बनेंगे हम….” आईएमए गीत पर ताल कदम के साथ मऊ सैन्य अकादमी में अंतिम पग भरते हुए भारतीय सेना का हिस्सा बन देस पर जान निछावर कर गुजरने की कसम ली।
बकौल लेफटिनेंट कृष्णा रावत माता, पिता व गुरुजनों के आशीर्वाद से इस मुकाम तक पहुचे हैं, व अपने पूज्य दादा स्वर्गीय अमर सिंह का सपना पूरा करेंगे। पिता सुरेन्द्र सिंह रावत कृषक हैं जो गांव में एक छोटी दुकान कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। माता शांति देवी गृहणी हैं जो फिलहाल आंगनवाड़ी सहायिका का काम कर रही हैं। कृष्णा रावत ने पूर्णतया पहाडी परिवेश ओर अल्प संसाधनों में अपनी पढाई करने के बाद आज भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद की शपथ ली है।