जनपद में महिला समूहों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों को उचित विक्री उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ’मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ के तहत जनपद के तीनों विकास खंडों में दिनांक 24 से 30 अगस्त तक ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना रीप एवं राष्ट्रीय आजीविका मिशन (यूएसआरएलएम) के माध्यम से विकास खंड ऊखीमठ, अगस्त्यमुनि व जखोली में कैनोपी लगाकर समूह द्वारा तैयार उत्पाद का विपणन किया जा रहा है।
कैनोपी में उत्तराखंड में परियोजना के माध्यम से समूह द्वारा तैयार राखियां, स्क्वैश, सोविनियर, मसाले, पारंपरिक दालें, जूस, चटनी आदि का विपणन किया जा रहा है जो समूह में जुडी बहनों की आजीविका को सशक्त बनाने का कार्य कर रही है।
वर्तमान में समूह द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय, विकास भवन, विकास खंड अगस्त्यमुनि, जखोली एवं ऊखीमठ में कैनोपी लगाकर समूह में तैयार उत्पादों के विपणन कर रही हैं जिससे जहां एक ओर समूह के द्वारा तैयार उत्पादों को पहचान मिल रही है वहीं समूहों में कार्य कर रही बहनों का आत्मविश्वास भी बढ रहा है। एकता में ही शक्ति है इसका जीता जागता उदाहरण समूह की बहनें सिद्ध कर रही हैं।
विकास भवन परिसर तथा जिला कार्यालय परिसर में स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्पादित स्थानीय उत्पादों का कैनोपी के माध्यम से विपणन किया जा रहा है। इस अवसर पर विकास खंड स्तर पर संबंधित विकास खंड अधिकारी यूएसआरएलएम रीप टीम तथा जनपद स्तर पर जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के दिशा-निर्देशन में परियोजना प्रबंधक रीप बीके भट्ट, टीम तथा यूएसआरएलएम के सुगमीकरण में उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार द्वारा रीप एवं यूएसआरएलएम टीम को समूह द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों का विपणन करने हेतु निर्देश दिए गए।
जिला कार्यालय में लगे कैनोपी का जिलाधिकारी डाॅ. सौरभ गहरवार द्वारा जायजा लेते हुए समूह द्वारा उत्पादित उत्पादों का प्रचार-प्रसार एवं खरीददारी हेतु विभागीय अधिकारियों को प्रेरित किया तथा जनपद में संकुल विकास खंड तथा जनपद स्तर पर जुड़ी समूह की महिलाओं के द्वारा बाजार की मांग पर उत्पाद तैयार कर विपणन किए जाएं जिससे कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि हो सके।
जिलाधिकारी द्वारा समूह के द्वारा उत्पादित किए गए उत्पादों की प्रसंशा के साथ ही रीप एवं यूएसआरएलएम परियोजना द्वारा प्रदान किए जा रहे सुगमीकरण की सराहना की गई। इस अवसर पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगभग 15 हजार दो सौ पचास रूपए का व्यवसाय किया गया।