उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है जहां जंगल को देवता के रूप में पूजा जाता है। उत्तरकाशी से 46 किलोमीटर दूर स्थित डुंडा ब्लाक में एक गांव पढ़ता है, जिसका नाम मट्टी गांव है। यहां लोग जंगल को देवता मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। प्रकृति के प्रति गांव वालों की यह आस्था पर्यावरण प्रेमियों को यहां खींच लाती है। मट्टी गांव में जंगल संरक्षण की मिसाल सबसे अलग है।
जंगल को बचाने में गांव के हर व्यक्ति का योगदान है। पर्यावरण संरक्षण के लिए मट्टी गांव की जितनी सराहना की जाए उतना ही कम है। ये गांव अपने आप में बहुत निराला है यहां खूबसूरती भी किसी से कम नहीं है।
इस गांव में 270 परिवार हैं, जिसमे कुछ एक परिवार बच्चों की पढ़ाई के खातिर पलायन भी कर चुके हैं, लेकिन गांव आज भी भरपूर है जादातर लोगों की सरकारी नोकरी करते हैं। पलायन कर चुके लोग समय समय पर गांव आते रहते हैं।
इस गांव से जुडी कहानी ये है कि सालों पहले इस गांव में ऊपर पहाड़ी से लगातार गांव में पत्थर लुढ़कते थे। इसलिए इस गांव पूर्वजों ने गांव के ऊपर से बांज के पौधों का रोपण किया। जंगल का संरक्षण गांव का हर व्यक्ति करे, सो इसका नाम नाम मटियाल देवता (ग्राम देवता) का जंगल रखा गया।
पूर्वजों के बनाए इस नियम को मट्टी गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक मानते हैं। इसीलिए यह जंगल पूरी तरह से समृद्ध है। अब अगर पहाड़ी से कोई पत्थर भी आता है तो जंगल में पेड़ इतने घने हैं कि वह पेड़ों से टकराकर जहां का तहां रुक जाता है। 2013 में भी गांव के ऊपर से पत्थर आए थे, जो जंगल में ही रुक गए।
इसके अलावा एक खास बात ये है कि इस जंगल में आज तक कभी आग भी नहीं लगी। क्योंकि ग्रामीणों इस जंगल का सरक्षण करते हैं बांज का हरा-भरा जंगल होने के कारण गांव में पानी का भी संकट नहीं है।
चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न पड़ जाए, मट्टी गांव के पास का प्राकृतिक स्रोत कभी नहीं सूखता। जो भी पर्व-त्योहार आते हैं, ग्रामीण जंगल में पौधारोपण जरूर करते हैं। अपने आप में यह गांव हर किसी के लिए एक मिसाल है।
लेकिन आज के समय में यही गांव खतरे की जद में है गांव के ऊपर बड़ा पहाड़ अगर गांव में आता है तो उसे पेड़ भी नहीं बचा पायेंगे पूर्वजों की दे गयी हरियाली का ये लोग रख रखाव तो कर रहे हैं लेकिन भूवैज्ञानिक इस गांव को पूरी तरह विस्थापित करने के लिए कह चुके हैं।
कुछ दिन पहले ही एसडीएम ने गांव का दौरा कर गांव का हाल जाना यहां गांव के ऊपर से पड़ी चट्टान पर दरार आ रही है जिसके चलते गांव के लोग खोफ में जी रहे हैं। शासन को इस मामले में मदद की अपील की गयी है। ')}