उत्तराखंड में इस साल रेकॉर्डतोड़ गर्मी के बीच राहत भरी खबर सामने आ रही है। मौसम विभाग ने अनुमान व्यक्त किया है कि इस साल उत्तराखंड में मानसून समय से पहले पहुँचने की संभावना है साथ ही इस साल मानसून के अधिक प्रभावी रूप से बरसने की संभावना भी लग रही है दरअसल, अल नीनो के प्रभाव के चलते शीतकालीन बारिश पर बुरा असर पड़ा है और सामान्य से बहुत कम पानी बरस पाया, जिसके कारण बेतहासा गर्मी बढ़ी है लेकिन अब इसकी भरपाई ला नीना से होनी वाली है, हालांकि ला नीना का प्रभाव अगस्त व सितंबर में नजर आएगा लेकिन इससे पहले जून व जुलाई का मानसून सामान्य रूप से बरसेगा।
मौसम विभाग के राज्य निदेशक डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि ला नीना का असर शुरू होते ही बरसात तेज होने की संभावना है, जो मानसून की बारिश की मात्रा को सामान्य से अधिक पहुंचाएगी। अधिक बारिश कृषि के लिए के लिए फायदेमंद होगी, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावना रहेगी। जिस कारण सतर्क रहने की आवश्यकता है। प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश होने की 61 प्रतिशत संभावना है। फिलहाल ला नीना अपनी राह मे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है।
दरअसल, वैश्विक ताप का जलवायु पर तेजी से असर दिखना शुरू हो गया है। जिसके चलते दुनिया के देशों में तूफानों की संख्या में बढ़ोतरी के पूरे आसार हैं। साथ ही शीतकाल में संभवतः पश्चिमी विक्षोभों की संख्या में इजाफा होगा और ठंड में बढ़ोतरी अधिक होगी। बता दें कि अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर में जलवायु पैटर्न हैं जो दुनिया भर के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं। अल नीनो के दौरान व्यापारिक हवाएँ कमजोर हो जाती हैं। गर्म पानी को पूर्व की ओर, अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर धकेल दिया जाता है। लेकिन ला नीना घटनाओं के दौरान, हवाएँ सामान्य से भी अधिक तेज़ होती हैं, जो अधिक गर्म पानी को एशिया की ओर धकेलती हैं। अमेरिका के पश्चिमी तट पर, उथल-पुथल बढ़ जाती है, जिससे ठंडा, पोषक तत्वों से भरपूर पानी सतह पर आ जाता है।
प्रशांत महासागर में ये ठंडे पानी जेट स्ट्रीम को उत्तर की ओर धकेलते हैं। इससे दक्षिणी अमेरिका में सूखा पड़ता है और प्रशांत उत्तर-पश्चिम और कनाडा में भारी बारिश और बाढ़ आती है। ला नीना वर्ष के दौरान, दक्षिण में सर्दियों का तापमान सामान्य से अधिक गर्म और उत्तर में सामान्य से अधिक ठंडा होता है। ला नीना के कारण अधिक गंभीर तूफान का मौसम भी आ सकता है ।