श्री सत्ये सिंह राणा के नाम देवप्रयाग के पहले विधायक और जिले के पहले जिला परिषद अध्यक्ष का इतिहास दर्ज है। ऐसे व्यक्ति कम हुए जो दोनों पदों पर अलग अलग तारीखों में पहली बार आसीन हुये हैं। पट्टी नैलचामी के चौरा गांव के राणा जी ने घनसाली- चिरबटिया तिलवाड़ा की सड़क बनाई थी। उस जमाने सघन जंगलों के बीच सड़क बनानी एक बहुत बड़ी चुनौती थी। चिरबटिया एक मशहूर पर्यटक स्थल भी है।
ऊँचे स्थान पर बसे चिरबटिया से दोनों घाटियां दिखाई देती है। सुंदरता का एहसास होता है वहां!
जखोली ब्लॉक और जिला परिषद टिहरी गढ़वाल का गठन कराने में राणा जी की बहुत बड़ी भूमिका रही , उनकी बतौर जिला पंचायत अध्यक्ष जाजल में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी , तब वह 45 वर्ष के थे, यदि वह जीवित रहते तो आगे चलकर बड़े नेता हो सकते थे। क्योंकि उन्होंने मात्र 45 वर्ष की उम्र में पांच प्रतिष्ठित पद पा लिए थे।
उनमें जनता के नेता बनने की अपार क्षमता थी, वह लखनऊ से लोगों के विकास संबंधी काम करते थे और लखनऊ विधानसभा में देवप्रयाग विधानसभा की आवाज बनते थे, टिहरी जनपद की तब दो विधानसभा सीट होती थी , आजादी के बाद 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ तो देवप्रयाग विधानसभा से एडवोकेट सत्ये सिंह राणा निर्दलीय विधायक के रुप में जीत कर लखनऊ विधानसभा पहुँचे थे। 1958 में महान बलिदानी श्री देव सुमन की पत्नी विनयलक्ष्मी जी देवप्रयाग से विधायक बनीं थीं.
उत्तराखंड के मशहूर जागर गायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने आज से 15 वर्ष पहले सत्ये सिंह राणा पर एक गीत गाया था, जिसमें वह कहते हैं कि, राणा सत्ये सिंह लखनऊ जाला… चिरबटिया की रोड़ खुलाला…घनसाली- चिरबटिया- तिलवाड़ा प्रमुख सड़क उस जमाने उन्हीं के प्रताप बनी थी। 1997 में अलग रुद्रप्रयाग जनपद बनने से जखोली ब्लॉक रुद्रप्रयाग का हिस्सा हो गया। आज भी जखोली ब्लॉक की 8 पट्टियां हैं और यह सड़क लाइफ लाइन के रूप में प्रसिद्ध है। गीत में उनके द्वारा जखोली ब्लॉक का निर्माण और नई-नई विकास योजनाओं को लखनऊ से कराने का जिक्र है।
पद्मश्री प्रीतम भरतवाण कहते हैं कि, पट्टी नैलचामी चौरा गांव, राणा सत्ये सिंह बोलदा नॉउ …राणा सत्ये सिंह इन लैईका रैना , 72 पट्टियों का वोट पैना ….
घनसाली के पास नैलचामी पट्टी ने तीन विधायक, दो जिला पंचायत अध्यक्ष दिए हैं एक तो वर्तमान में देवप्रयाग से विधायक हैं। और दूसरे पूर्व में पर्वतीय विकास मंत्री रहे हैं, तथा उत्तराखंड के बड़े नेता हैं। वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष यहीं की बेटी है। घनसाली नैलचामी और जखोली जो विकास की लकीर सत्ये सिंह राणा ने खींची थी, उसे आज भी याद किया जाता है।
सन 1961 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा क्षेत्र पंचायत एवं जिला परिषद अधिनियम पारित करते हुए विकास खंडों एवं जिला स्तर पर पंचायत व्यवस्था लागू की गई थी इस अधिनियम के पारित होने के साथ ही टिहरी गढ़वाल में 23 नवंबर 1961 को जिला परिषद का गठन हुआ था, इसके पहले अध्यक्ष का निर्वाचित होने का इतिहास सत्ये सिंह राणा के सिर सजा…इलाके में पढ़े लिखे व्यक्ति, सत्ये सिंह राणा भी थे, उनकी जखोली, कीर्तिनगर , देवप्रयाग की जनता पर भारी पकड़ थी, वह कीर्तिनगर, टिहरी में वकालत करते थे।
…धर्म ईमान ज्यों नेताओं कु रैई, ऊ कु नॉउ धन धन्य होई… नया, पुराणा नेताओं सुण याला जरा…अपना मुल्क कु विकास करा … प्रीतम भरतवाण कहते हैं जिन नेताओं ने क्षेत्र में विकास कराया, उनका नाम बड़े गर्व से लिया जाता है नए पुराने नेताओं को नसीहत देते हुए वह कहते हैं कि अपने क्षेत्र का विकास कराओ तभी नाम होगा!
भरतवाण आगे कहते हैं कि, घर ओऊणा छः लखनऊ बिटिना , बांझा पड़ी जाया, सू बुरु दिना, जाजल एंची छुप छुपा पाणी , मोटर खराबी की कैन नि जाणि …. राणा जी की आगराखाल से आगे जाजल में 1963 में सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। जीप को पत्रकार सरदार प्रेम सिंह चला रहे थे, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और 1977 में सांसद रहे त्रिपन सिंह नेगी आगराखाल में कुछ खाने के लिए उतर गए थे। नेगी जी और सरदार जी ने बाद में बढ़िया जीवन जिया.. तब संचार सुविधा नहीं थी, चिट्ठी पत्री जरूर चलती थी, लोग जब मिलते थे तभी एक दूसरे के बारे में पता चलता था, जैसे- जैसे लोगों ने नेताजी सत्ये सिंह राणा के देहांत की खबर सुनी, वैसे -वैसे उन्हें दुख हुआ, एक काबिल नेता को पहाड़ ने 1963 में खो दिया था। जारी …. नैलचामी पट्टी ने दिए यूपी में बड़े बड़े नेता! :
वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसाईं