आज 02 मार्च को खोज एवं बचाव दलों द्वारा वृहद स्तर पर रेस्क्यू अभियान संचालित किया गया। इस दौरान 04 श्रमिकों के शव बरामद हुए। 04 श्रमिकों के शव विगत् दिवस बरामद हुए थे। इस प्रकार इस आपदा में अब तक कुल 08 श्रमिकों के शव बरामद किये जा चुके हैं।
बदरीनाथ/माणा से सुरक्षित रेस्क्यू किये गए 46 श्रमिकों में से 44 श्रमिकों को ज्योतिर्मठ स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनकी स्थिति सामान्य बतायी गयी है। उनके उपचार की समुचित व्यवस्था की गयी है तथा उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। 02 श्रमिकों का उपचार एम्स ऋषिकेश में किया जा रहा है। एम्स प्रशासन के अनुसार उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है।
07 मृतक श्रमिकों का रविवार को पोस्टमार्टम कर उनके पार्थिव शरीर को उनके घर रवाना कर दिया है। रेस्क्यू अभियान को गति देने के लिए आज दिनांक 02.03.2025 को GPR (Ground Penetrating radar) जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची, जिसे एम0आई0-17 हैलीकाप्टर द्वारा घटना स्थल के लिए भेजा गया।
एन०डी०आर०एफ० द्वारा थर्मल इमेजिंग कैमरा, विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, RRSAW (ROTARY RESCUE SAW), एवलांच रॉड, डॉग स्क्वाड को घटना स्थल पर भेजा गया तथा इनके माध्यम से व्यापक स्तर पर रैस्क्यू अभियान संचालित किया गया। एस०डी०आर०एफ० तथा यू०एस०डी०एम०ए० द्वारा थर्मल इमेजिंग कैमरा, विक्टिम लोकेटिंग कैमरा भी मौके पर भेज गया तथा इनके द्वारा भी लापता श्रमिकों की खोज की गयी।
मुख्यमंत्री जी द्वारा एस०ई०ओ०सी० का भ्रमण किया गया तथा लापता श्रमिकों की खोज के लिए चलाये जा रहे रैस्क्यू अभियान की समीक्षा की। उन्होंने रेस्क्यू किये गये 46 सुरक्षित श्रमिकों की समुचित देखभाल करने तथा उन्हें समुचित उपचार प्रदान करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री जी ने मौसम विभाग द्वारा दिनांक 03.03.2025 से मौसम के दोबारा खराब होने की चेतावनी के दृष्टिगत समुचित एहतियात बरतने तथा लापता 04 श्रमिकों को रविवार को ही रेस्क्यू किये जाने के निर्देश दिये थे। इस रेस्क्यू अभियान के दौरान अब तक चार बार एस०ई०ओ०सी० पहुंचकर खोज एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की गयी।
वायु सेवा का एक एम.आई.-17 हेलीकॉप्टर, तीन चीता हेलीकॉप्टर, उत्तराखण्ड सरकार के 02 हेलीकॉप्टर, एम्स ऋषिकेश से एक एयर एंबुलेंस द्वारा राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग किया गया। मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सभी के साथ समुचित समन्वय किया गया, लगातार राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के माध्यम से नियमित तौर पर पूरे घटनाक्रम की निगरानी की गई तथा सभी विभागों के आपसी समन्वय से युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य किया गया।
गंभीर रूप से घायल श्रमिकों के उपचार का खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।