आज दून विश्वविद्यालय के प्रांगण में संस्कृत भाषा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम पुस्तक वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमे संस्कृत की शिक्षा लेनेवाले विद्यार्थी को माननीय कुलसचिव श्रीमान डा एम.एस.मन्द्रवाल जी, श्रीमान डा प्रदीप सेमवाल जी(संस्कृत भारती जनपद संगठन मंत्री), श्रीमान राकेश भट्ट जी (सहायक प्रवक्ता थ्येटर) शिक्षक श्रीमान राजेश शर्मा जी के सान्निध्य में पुस्तक वितरण की गयी। यह शिक्षा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अन्तर्गत दून विश्वविद्यालय में हर वर्ष करायी जाती है। जिसमे मुख्यतः दो कोर्स उपलब्ध है। संस्कृत भाषा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम और संस्कृत भाषा दक्षता पाठ्यक्रम ।
माननीय कुलसचिव महोदय ने कार्यक्रम के अन्तर्गत संस्कृत पर अधिक ध्यान देने का आग्रह किया उनका कहना था कि सभी भाषाओं की जननी संस्कृत है इससे विज्ञान, ज्योतिष, नक्षत्रों की गणना की जानकारी मिलती है। संस्कृत से संस्कारो का जन्म होता है। ओर समाज को नयी दिशा मिलती है।
श्रीमान डा प्रदीप सेमवाल जी ने कहा संस्कृत के बिना सनातन का कोई महत्व नहीं है। संस्कृत ही वेदों, उपनिषदों का मूल है। संस्कृत न केवल कर्मकांड की भाषा अपितु ज्ञान विज्ञान की भी भाषा है। हम अपने इस ज्ञान विज्ञान की भाषा को व्यावहारिक रूप में प्रयोग कर पाएंगे तभी हम मूल रूप से अपने प्राचीन विज्ञान को समझ सकेंगे ओर विज्ञान के साथ-साथ अपनी संस्कृति का भी संरक्षण कर पाएंगे।
आज वर्तमान काल में जिस प्रकार की विषम परिस्थितिया जीवन में उपस्थित हो रही हैं उन सभी का समाधान हमें संस्कृत भाषा के गर्भ में ही प्राप्त हो सकता है। अतः इसे हम अपने नित्य जीवन में एवं व्यवहार में प्रयोग करें । विश्व शांति का संदेश जो इस समय भारत दे रहा है वह जन-जन तक पहुंच पाएगा।
इस कार्यक्रम में पारितोष कोठियाल , कनिका घिडियाल, स्वेता रावत,मिली,मंजू,संजय कैतुरा, लक्ष्मण नेगी,राशि,धीरज,लिजा,वैभव, सृष्टि ओर अन्य विद्यार्थियों की गरिमामय उपस्थिति रही।