आपने कई ऐसे स्थानों के बारे में पढ़ा होगा जिसे सुनकर आप हैरत में पढ़ जाते होंगे। आज भी विज्ञान कई पहेलियों की गुत्थी सुलझा नहीं पाया है। उत्तराखंड के एक गांव की गुत्थी भी विज्ञान के लिए भी शोध का विषय बना हुआ है। वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि आखिर इन ग्रामीणों के खून में ऐसी क्या बात है क्या आज के समय दैवीय शक्ति इतनी कारगर है चलो जानते हैं?
विश्व में भारत ऐसा देश है जहां विष उगले वाले सांपों को भी दूध पिलाया जाता है और सांपों को पूजा जाता है। अतीत से ही भारत में यह परंपरा चली आ रही है। ऐसा ही एक गांव देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है जहां सांप के काटने पर उस का जहर असर नहीं करता।
जी हां आज ठीक सुना आप ने आज भी उत्तराखंड के जनजातिय क्षेत्र जौनसार बावर के गांव सुरेऊ में सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। ग्रामीणों की मानना है कि नाग देवता के स्मरण करने से सांप के काटे का जहर उतर जाता है।
ग्रामीण मानते है कि नाग देवता उनके अनाज और धन की भी रक्षा करते है। नाग देवता नाराज न हो, इसके लिए गांव में हर साल तेरह अप्रैल को नाग देवता की पूजा का आयोजन करते हैं। बता दें कि कालसी प्रखंड के दुर्गम में बसे सुरेऊ गांव 46 परिवार रहते हैं।
गांव के मुखिया शांति सिंह चौहान बताते है कि जंगलों से घिरा होने के कारण अक्सर गांव में सांप दिखाई पड़ते हैं। कई बार सांप लोगों को काट भी चुके हैं। शांति सिंह चौहान ने बताया कि नाग देवता की कृपा से ना ही अस्पताल जाना पढ़ा और ना ही कोई दवाई की गई। गांव में आज तक किसी भी व्यक्ति को सांप से काटने से मौत नहीं हुई
उन्होंने बताया कि सांप के काटने पर यहां उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने का जहर उतर जाता है। गांव में सदियों से नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है।
देवता रुष्ट न हो इसके लिए हर साल 13 अप्रैल को गांव में नाग देवता की पूजा अर्चना होती है। जिसको लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है। लोग इस दिन का बेसब्री से इंंतजार करते हैं।
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