दो आंखों से हम दुनिया देखते हैं। आंखें हैं तो हमारी जिंदगी में रोशनी है और आंखें नहीं तो जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा। आंखें न होने की कल्पना करके भी हम सहम जाते हैं। कभी न कभी हमारे मन में यह सवाल उठता है कि जिनकी आंखें नहीं हैं, वे अपने जीवन के अंधेरे से कैसे लड़ते होंगे?
नेत्रहीन दिव्यांगों की जिंदगी में रोशनी लाने और उनको अंधेरे से लड़ने का हौसला देने की एक कोशिश कर रहे हैं डॉ.चमोली। आज डॉ.चमोली ने हरिद्वार केे नेत्रहीन स्कूल में जाकर इनके साथ जिंदगी को जीने की कोशिश की। इसमें जो हुआ वो किया गया। इन सभी को खाना खिलाया गया। गरम कपड़े और उनकी जरुरत का सामान दिया गया। स्कूल से सभी स्टाफ का सहयोग रहा। डॉ. चमोली हमेशा ही समाज में ऐसे काम करते रहते हैं। इस स्कूल में आँखों का चेकअप भी समय समय पर करवाते रहते हैं।