उत्तराखंड में दस और दस से कम छात्र संख्या वाले बेसिक और जूनियर स्कूलों नजदीक के ही अन्य बेसिक और जूनियर स्कूल में विलय हो जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का ये बड़ा कदम इसलिए उठाना पड़ा कि परदेश में शिक्षकों की भारी कमी है इन स्कूल के विलय के बाद कई बड़े स्कूलों में शिक्षकों की समस्या ख़त्म हो जायेगी। आदेश के अनुसार एक किमी के दायरे में आने वाले ऐसे सभी बेसिक स्कूलों को बंद करते हुए उनका एक स्कूल में विलय किया जाएगा। जबकि तीन किमी के दायरे में आने वाले जूनियर हाईस्कूलों का भी विलय करने को मंजूरी दे दी गई है।
बंद किये गए स्कूल का इस्तेमाल गांव में सामजिक कार्यों के लिए किया जाएगा उनके रखरखाव का जिमा पंचायत का होगा। खेल और सांस्कृतिक कार्यकर्मो के लिए भी ये भवन इस्तेमाल किये जायेंगे। आपको बता दें कि वो ये स्कूल होंगे जिनमे छात्र संख्या दस या दस से कम है और उसके नजदीक ही दूसरा प्राथमिक और जूनियर स्कूल है, तो उसका विलय उस स्कूल में कर लिया जाएगा सरकार जल्द से जल्द इस काम को आगे बढ़ाना चाहती है।
उत्तराखंड में 2465 प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की संख्या दस और दस से कम है जबकि, करीब 500 से ज्यादा जूनियर हाईस्कूलों में भी छात्र संख्या इस आंकड़े से कम है। हालाँकि अभी कितने स्कूल इसमें बंद होंगे ये अभी तय नहीं हो पाया है इस फैसले से चार हजार से ज्यादा शिक्षकों को दुसरे स्कूल में भेजा जाएगा। यानी जिस स्कूल में बंद होने वाले स्कूल का विलय होगा, उसी स्कूल ने इन शिक्षकों को भेजा जाएगा इससे विलय के बाद बनने वाले स्कूलों में पर्याप्त संसाधन और शिक्षक उपलब्ध हो जाएंगे।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह बेहद जरूरी हो गया था। इससे सरकार पर अनावश्यक आर्थिक बोझ कम होगा। जो धन अलग-अलग स्कूलों में दिया जाता था, वो सारा अब एक स्कूल पर ही इस्तेमाल होगा। इससे हर स्कूलों को पर्याप्त संसाधन मिलेंगे और प्राइवेट स्कूलों के समान हर कक्षा को एक शिक्षक देना भी मुमकिन हो जाएगा। ')}