Raibaar UttarakhandRaibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • Cricket Uttarakhand
  • Health News
  • Jobs
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Reading: विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल-2024 का रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ आगाज
Share
Font ResizerAa
Font ResizerAa
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
  • Home
  • Uttarakhand News
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • चारधाम यात्रा
Search
  • Home
  • Uttarakhand News
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधम सिंह नगर
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • Cricket Uttarakhand
  • राष्ट्रीय समाचार
  • हिलीवुड समाचार
  • Health News
Follow US
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
Raibaar Uttarakhand > Home Default > Uttarakhand News > विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल-2024 का रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ आगाज
Uttarakhand News

विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल-2024 का रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ आगाज

Last updated: October 16, 2024 4:45 pm
Debanand pant
Share
9 Min Read
SHARE

देहरादून-15 अक्टूबर 2024- उत्तराखण्ड के जाने-माने सांस्कृतिक कार्यक्रम ’विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2024’ का शुभारंभ उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री माननीय सतपाल महाराज जी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ डॉ.बी.आर.अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में हुआ।

पर्यटन मंत्री माननीय सतपाल महाराज जी विरासत महोत्सव 2024 के विधिवत शुभारंभ करने के बाद अपने विचार व्यक्त कर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण होने से पूर्व विरासत महोत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता रहा है, यह आयोजन निरंतर 30 वर्षों से अपने आयोजनों की छटा बिखेरता चला आ रहा है और विश्व भर में अपनी छाप सांस्कृतिक विरासत के रूप में बनाए हुए हैं।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आज के आयोजन में उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य किया गया है जो कि ह्यूमन चैन को सिखाता है। महाराज ने यह भी कहा कि छोलिया नृत्य युद्ध कौशल को बताता है। उन्होंने उत्तराखंड के ढोल को भी संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि ढोल वादक वास्तव में सामवेद से निकलता हुआ एक वादक है। इस ढोल सागर में बहुत सी विद्याएं समाहित हैं।

इस अवसर पर उन्होंने पर्यटकों के लिए होम स्टे और अधिक आगे बढ़ाने की बात भी कहीं और कहा कि आज 5000 की संख्या में होम स्टेट रजिस्टर्ड हो चुके हैं । ऐसे होम स्टे हमें आगे बढ़ने चाहिए, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके l कार्यक्रम में सतपाल महाराज जी के साथ गीता खन्ना अध्यक्ष, बाल कल्याण आयोग, उत्तराखंड, ओएनजीसी की ओर से श्रीमती आर.एस. नारायणी कार्यकारी निदेशक, कॉर्पोरेट प्रशासन प्रमुख भी मौजूद रही।

कार्यक्रम में विरासत महोत्सव के महासचिव आरके सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रिच संस्था द्वारा लगातार तीसवीं वर्षगांठ विरासत का यह आयोजन करते हुए मनाया जा रहा है प् उन्होंने कहा कि इन आयोजनों को करने से विरासत को लगातार ताकत मिल रही है और विश्व भर में इसकी रोशनी और लौ पहुंचती रहेगी प् इस मौके पर मुख्य रूप से आयोजन के कार्यक्रम निदेशक लोकेश ओहरी, ट्रस्टी हरीश अवल, संयुक्त सचिव विजयश्री जोशी, निदेशक क्राफ्ट सुनील वर्मा, मीडिया प्रभारी प्रियवंदा अय्यर, कार्यालय प्रशासक प्रदीप मैथल आदि मौजूद रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत छोलिया नृत्य के साथ हुई प् पिथौरागढ़ के पट्टी किटटर प्रकाश रावत पार्टी ने छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया प् सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड के लोकप्रिय छोलिया नृत्य के साथ बहुत ही शानदार ढंग से हुआ, जिसमें उत्तराखंड के प्रतिष्ठित कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी एवं इस प्रस्तुती ने लोगों का मन मोह लिया। छोलिया एक पारंपरिक लोक नृत्य है जो भारतीय राज्य उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल और नेपाल के पश्चिमी प्रांत में उत्पन्न हुआ है।

यह आज कुमाऊंनी और सुदूरपश्चिमी संस्कृति का प्रतीक बन गया है। यह मूल रूप से बारात के साथ होने वाला तलवार नृत्य है लेकिन अब यह कई शुभ अवसरों पर किया जाता है। कुमाऊँ मण्डल के अल्मोडा, बागेश्वर, चम्पावत और पिथौरागढ जिलों तथा नेपाल के डोटी, बैतड़ी और धारचूला में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस तलवार नृत्य का इतिहास एक हजार साल से भी अधिक पुराना है और यह कुमाऊंनी लोगों और खास लोगों की मार्शल परंपराओं में निहित है।

इसकी उत्पत्ति कुमाऊं के युद्धरत क्षत्रियों खास और कत्यूरियों से हुई है,जब विवाह तलवारों की नोंक पर किए जाते थे। युद्ध जैसे संगीत के साथ, तलवारों से सुसज्जित होकर वे अपने साथी नर्तकों के साथ नकली लड़ाई में संलग्न होकर पूरी तरह से समकालिक तरीके से नृत्य करते हैं। तिकोने लाल झंडे लिए हुए अपनी तलवारें लहराते हुए, चेहरों पर उग्र भावों के साथ युद्ध के लिए जा रहे योद्धाओं का आभास देते हैं जिसमें संगीतकार और तलवार नर्तक शामिल होते हैं।

यह लोक नृत्य पहले पारंपरिक वाद्य यंत्र जिसमें ढोल, दमोऊ, नगाड़े जैसे कई यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता था इस बार पारंपरिक यंत्रों के साथ-साथ अपनी प्रस्तुति को और मनोरंजक बनाने के लिए कैसियो का इस्तेमाल भी किया गया। छोलिया नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने देवताओं के आगमन से कीप् आयोजन में बेडु पाको बारो मासा प्रस्तुत किया, फिर नव मूर्ति मदोबाज ,छोला युद्ध , मीनार जैसे प्रस्तुतियां दी गई। इस छोलिया नृत्य में मुख्य कलाकार शामिल थे।

संस्कृति कार्यक्रम के दूसरी प्रस्तुति में डॉ.एन.राजम एवं रागिनी शंकर के जुगलबंदी में वायलिन वादन प्रस्तुत किया। पद्मभूषण एन.राजम और उनकी पोती रागिनी शंकर विलम्बित एक ताल में राग जोग के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की वे राग जोग में एक प्रसिद्ध बंदिश ‘साजन मोरे घर आए’ भी प्रस्तुत की कार्यक्रम का समापन राग भैरवी के साथ उन्होंने किया।

विरासत महोत्सव में अनेक शख्सियत प्रतिवर्ष अपनी मौजूदगी विख्यात मेहमानों के रूप में दर्ज करते भी आ रहे हैं, जिनमें डॉ.एन.राजम का नाम मुख्य हैI डॉ.एन.राजम संगीत के क्षेत्र में सबसे बेहतरीन और उत्कृष्ट कलाकारों में से एक वायलिन कलाकार पदण डॉ. श्रीमती एन.राजम को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उनकी जादुई उंगलियां वायलिन के सुरीले तारों को मंत्रमुग्ध कर एक दिव्य और उदात्त वातावरण बनाती हैं।

उन्होंने शास्त्रीय संगीत की दुनिया में “गायक अंग” की शुरुआत करके एक नया आयाम स्थापित किया, यह एक ऐसी तकनीक है जो वायलिन पर संगीत की मुखर शैली प्रस्तुत करती है, जिसने उन्हें गायन वायलिन के रूप में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध बना दिया है। पारंपरिक संगीतकारों के परिवार से आने के कारण, उन्होंने बहुत कम उम्र में ही कर्नाटक शैली में महारत हासिल कर ली थी और अपने पिता विद्वान श्री ए नारायण अय्यर जो कि संगीत के एक उत्कृष्ट शिक्षक और महान दूरदर्शी व्यक्ति थे, से 15 वर्षों तक गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

बाद में उन्होंने संगीतकारों के बीच अग्रणी पंडित ओंकारनाथ ठाकुर के संरक्षण में हिंदुस्तानी शैली में कदम रखा और अपने गायकी अंग के माध्यम से एक पथ-प्रदर्शक शुरुआत की। उन्होंने दुनिया भर में कई प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है और उन्हें दुनिया भर के दर्शकों द्वारा पसंद किया गया है। एक बेहतरीन कलाकार होने के अलावा, डॉ. राजम ने 40 वर्षों तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में डीन के रूप में भी काम किया है और उन्हें संगीत के प्रति उनकी उत्कृष्ट प्रतिभा और सेवा के सम्मान में “एमेरिटस प्रोफेसर” की उपाधि भी प्रदान की गई है।

उन्हें अनगिनत प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री और पद्मभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और फेलोशिप, कालिदास सम्मान आदि शामिल हैं। इसी क्रम में सात पीढ़ियों से संगीत की परंपरा वाले परिवार में रागिनी शंकर ने 4 साल की छोटी सी उम्र में वायलिन पर हिंदुस्तानी (उत्तर भारतीय) शास्त्रीय संगीत की शिक्षा अपनी प्रख्यात दादी पद्मभूषण डॉ. एन राजम और अपनी आदर्श मां डॉ. संगीता शंकर, जो भारत की प्रमुख वायलिन वादक हैं, के संरक्षण में शुरू की थी।

उन्होंने भारत, यूरोप, उत्तर अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में कई प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है। वायलिन पर मुखर संगीत को पुन: प्रस्तुत करने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाने वाली, उन्होंने विभिन्न शैलियों के प्रशंसित कलाकारों के साथ संगीत परियोजनाओं पर सहयोग किया है। रागिनी और उनकी बहन नंदिनी शंकर को यूनिवर्सल म्यूजिक ग्रुप के एक हिस्से डेका रिकॉर्ड्स यूएस द्वारा उनके फ्यूजन एन्सेम्बल ‘तराना’ के लिए एक पूर्ण लंबाई के संगीत एल्बम के लिए साइन किया गया इसके अलावा उन्होंने प्रसिद्ध गीतकार इरशाद कामिल की ‘इंक बैंड’, प्रसिद्ध फ्रांसीसी संगीतकार थिएरी पेको की ‘संगता’ और संगीता शंकर के अभिनव फ्यूजन ‘इनस्ट्रिंग्स’ के साथ परियोजनाओं पर सहयोग किया है। उन्हें आदित्य बिड़ला कला किरण पुरस्कार और भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत जश्न-ए-यंगिस्तान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने प्रदान की विभिन्न विकास योजनाओं के लिये वित्तीय स्वीकृति
तलजामण और डूंगर,उछोला , जैसे दुर्गम क्षेत्रों में संचालित हो रहा सामुदायिक किचन
भारी बारिश के बीच ट्रैक्टर से पहुँचे हरिद्वार के लक्सर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे सीएम धामी
रुद्रप्रयाग: नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (NSP) पर छात्रवृत्ति हेतु पात्र छात्र छात्राएं शीघ्र कर लें आवेदन
रेड अलर्ट निरंतर वर्षाः आपदा जैसे हालात; जन दर्शन में फिर भी पहुंचे 122 फरियादी
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Copy Link
Previous Article उत्तराखंड में AMR के खतरे को कम करने के लिए बनेगी ठोस और प्रभावी कार्य योजना, 4 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर होगा मंथन, कार्यशाला का आयोजन…
Next Article मुख्यमंत्री ने किया संभागीय परिवहन कार्यालय, हल्द्वानी का औचक निरीक्षण
Leave a Comment Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

218kFollowersLike
100FollowersFollow
200FollowersFollow
600SubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow

Latest News

तीन दिनों के लिए रेड एवं ऑरेंज एलर्ट सीएम ने कहा-एलर्ट रहें अधिकारी, 11 जिलों में अवकाश घोषित
Uttarakhand News
August 31, 2025
महाराज ने पत्रकार खंडूरी के आवास पर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की
Uttarakhand News देहरादून
August 31, 2025
पौड़ी: फिर अज्ञात जानवर ने किया हमला, कुबड़ फाड़कर पहुंचाया नुकसान
Uttarakhand News
August 31, 2025
पूर्ण मकान क्षति एवं मृतकों को सीएम राहतः 5-5 लाख की सहायता राशि वितरित
Uttarakhand News
August 30, 2025

खबरें आपके आस पास की

Uttarakhand News

मुख्यमंत्री ने आपदा राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की

August 30, 2025
Uttarakhand News

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को सीएसआर विद ह्यूमन हार्ट के लिए “जीईईएफ ग्लोबल अवार्ड 2025” से सम्मानित किया गया

August 30, 2025
Uttarakhand News

मुख्यमंत्री धामी ने वर्चुअल माध्यम से अल्मोड़ा के मां नंदा देवी मेला-2025 का किया शुभारंभ

August 28, 2025
Uttarakhand Newsदेहरादून

11 अति व्यस्तम जंक्शनों पर नवीन ट्रैफिक लाइट कार्य भी हुआ पूर्णः जल्द होंगी समर्पित

August 28, 2025
Uttarakhand News

मुख्यमंत्री धामी ने गुरूवार को वर्चुअल माध्यम से मोस्टामानू महोत्सव में प्रतिभाग किया

August 28, 2025
Uttarakhand News

खंडूरी का निधन पत्रकारिता जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति: महाराज

August 28, 2025
https://raibaaruttarakhand.com/wp-content/uploads/2025/08/Video-1-Naye-Sapne-1.mp4
Raibaar UttarakhandRaibaar Uttarakhand
Follow US
©2017 Raibaar Uttarakhand News Network. All Rights Reserved.
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate