राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मालदेवता रायपुर में उत्तराखंड के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) युवाओं की मानसिकता में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं, जो उन्हें पारंपरिक नौकरी के अवसरों की प्रतीक्षा करने के बजाय उद्यमिता को एक व्यवहार्य करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसी ही एक सफलता की कहानी है राजधानी के युवराज सिंह की, जो देवभूमि उद्यमिता योजना के सकारात्मक प्रतीक के रूप में उभरे हैं ।
शुरुआत में युवराज कई व्यावसायिक विचारों के बारे में सोच रहे थे लेकिन किसी एक विचार पर स्थिर नहीं हो पा रहे थे। जब उन्हें पता चला कि राजकीय महाविद्यालय, मालदेवता, रायपुर में 12-दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम चल रहा है उन्होंने इसमें प्रतिभाग किया। इस ईडीपी के दौरान, युवराज में एक उल्लेखनीय परिवर्तन आया। ईडीपी के दौरान उन्होंने अपनी अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित करना और परिष्कृत करना सीखा।
नवाचार और संवहनीयता पर कार्यक्रम के जोर से प्रेरित होकर, उन्होंने स्थानीय समस्याओं के अनुरूप व्यवसाय का चयन करना सीखा | उन्होंने पाया कि राजधानी में आस पास के जनपदों से भी तमाम युवा नौकरी की तलाश में आते हैं पर कोई स्थानीय डिजिटल प्लेटफॉर्म नही है जहाँ युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप कार्य मिल सके | युवराज ने इसे एक अवसर की तरह देखा और बेरोजगार युवाओं और इच्छुक कंपनियों को एक मंच पर लाने के उदेश्य से करियर मास्टर नाम से अपने स्टार्ट-अप की शुरुवात की है |
ईडीपी के माध्यम से प्राप्त कौशल का उपयोग करते हुए, युवराज कुशलता पूर्वक अपने स्टार्ट-अप का विस्तार कर रहे हैं। उनकी यात्रा युवाओं को उद्यमी बनने के लिए सशक्त बनाने, आर्थिक विकास को गति देने और उत्तराखंड में नवाचार को बढ़ावा देने में इन कार्यक्रमों के प्रभाव का एक महत्वपूर्ण नजीर प्रस्तुत कर रही है।
12 दिवसीय इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के पश्चात अब तक जहां 21 छात्रों ने अपने बिलकुल नए उद्यम प्रारंभ कर दिए हैं वहीं 31 छात्रों ने अपने व्यवसायों में नवाचार के माध्यम से विस्तार किया है।
इस कार्यक्रम की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 15000 से अधिक छात्रों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित ईडीपी और बूट कैंपों के लिए पंजीकरण कराया है और 1000 से अधिक छात्रों ने अपने स्टार्ट-अप हेतु रूचि दिखाई हैं। इससे पता चलता है कि देवभूमि उद्यमिता योजना से किस तरह से इस हिमालयी राज्य में परिवर्तनकारी भूमिका निभा रही है। देवभूमि उद्यमिता योजना के क्रियान्वयन से प्राप्त परिणामों से उत्साहित उच्च शिक्षा विभाग ने आगामी सत्रों में उद्यमिता को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है।
निश्चित तौर पर ये पहलें न केवल व्यक्तिगत जीवन में बदलाव ला रही हैं बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान दे रही हैं। जैसे-जैसे युवराज जैसे अधिक युवा उद्यमिता को अपना रहे हैं, उत्तराखंड नवाचार, विकास और समृद्धि के भविष्य के लिए तैयार हो रहा है।