उत्तराखंड में दन्त चिकिस्तकों की कमी को खुद स्वास्थ्या विभाग द्वारा उजागर किया गया है हांलाकि सरकार ने जल्दी ही दंत चिकिस्तकों की भरपाई का भरोषा दिलाया है ।
राज्य में दंत चिकित्सक की कमी का नतीजा यहाँ है की राज्य में मौखिक कैंसर के रोगियों में खतरनाक वृद्धि हो रही है यही नहीं दांतो के दर्द से बिलखते लोगों को काम चलाऊ डाक्टर से इलाज कराना पड़ता है जिसके कई बार भयावह परिणाम सामने आते हैं सिर्फ दांत की समस्या को लेकर गरीब पहाड़ी को शहर तक आने का खर्चा उठाना पड़ता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, तंबाकू की खपत मौखिक कैंसर के मुख्य कारणों में से एक है, और दंत चिकित्सा सुविधाओं की कमी ने स्थिति बिगाड़ रखी है।
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक सोमवार को कुल 133 दंत चिकित्सकों की स्वीकृत के मुकाबले अभी भी 52% पद खाली है। मात्र 64 दंत चिकित्सक राज्य में काम कर रहे हैं, उत्तराखंड की आबादी 10,116,752 है।
उत्तराखंड तम्बाकू का बहुत बड़ा उपभोक्ता है यहां उत्तरभारत की सबसे जादा तमबाकू की खपत होती है। जादातर ग्रामीणों का तम्बाखू के बिना गुजारा भी मुस्किल होता है ऐसे मे कैंसर जैसी लाइलाज बिमारी का खतरा बना रहता है दांतो से ये तकलीफ कम से कम हो इसके लिऐ शासन प्रशासन सुस्त बैठा था देखना होगा सरकार इस दिशा मे कितनी तैजी से काम करती है।
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