उत्तराखंड की कई बेटी दुनिया के मिसाल बन रही हैं, उन्ही में से एक बेटी ऐसी भी है जिसने पिता की अचानक मौत हो जाने के बाद अपने परिवार में उन्हें आज भी जिन्दा रखा है, 25 वर्षीय अन्जना के पिता कुछ साल पहले श्रीनगर में चाय की दुकान को चलाते थे, 23 दिसम्बर 2010 को अचानक उसके पिता गणेश रावत का निधन हो जाने से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ सा टूट पड़ा लेकिन उसने हौसला नहीं खोया और 15 दिनों बाद ही पीएनबी रोड पर चाय की दुकान संभालने लगी थी।
अन्जना यूं तो ग्रेजुएट है लेकिन नौकरी के लिए दूसरे शहर का रूख करने की बजाय उसने अपने पापा के काम को ही रोजगार का साधन बनाया। यही अन्जना के जीवन की सीख है। अंजना की दिनचर्या एक आम लड़की से हटकर है। वह हर रोज घर के छोटे-बड़े काम निपटाकर, सुबह-सुबह कोचिंग क्लास पढ़ती है और फिर अपनी चाय की दुकान खोलकर पैसे कमाने की जुगत मे लग जाती है।
अंजना रावत ने गढ़वाल विश्वाविद्यालय से ही बी.ए करने के बाद मास्टर आॅफ सोशल वर्क में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। लेकिन परिस्थितियों ने उसका साथ नहीं दिया तो अन्जना नें स्वारोजगार की सीढ़ी चढ़कर परिवार के जीवन को पटरी पर लाया। यही वजह है कि लोग उसकी तारीफ करते नहीं थकते हैं।
अन्जना ने कड़ी मेहनत व लगन से ये साबित कर दिखाया कि बेटी बेटों से कम नहीं होती। यही वजह है कि अन्जना हजारों लडकियों के लिए एक प्ररेणाश्रोत है। वो कहते हैं ना कि काम तो काम होता है चाहे वो छोटा हो या बड़ा। इसी सोच के साथ अंजना अपने काम को बखूबी करती है। अंजना को स्थानीय स्तर पर कई समाजिक संगठनों के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।
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