उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की ओर से संचालित हाईस्कूल-इंटर बोर्ड परीक्षा में जिले में परीक्षार्थियों की संख्या हर साल घटती जा रही है। साल 2017 में जहां जिले में हाईस्कूल-इंटर संस्थागत व व्यक्तिगत परीक्षार्थियों की संख्या 24,745 थी वहीं 2019 की बोर्ड परीक्षा के लिए यह संख्या 21,647 पर आ थमी है।
जानकारों का कहना है कि पहाड़ के शासकीय व अशासकीय विद्यालयों में शिक्षा संसाधनों के अभाव तथा ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार बढ़ रहे पलायन बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या में गिरावट का बड़ा कारण है।
शिक्षा सत्र पूरा होने को है मगर अब भी जिले के 315 शासकीय व अशासकीय विद्यालयों में गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, अंग्रेजी, जीव विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के करीब 918 पद खाली हैं।
पिछले तीन सालों से पहाड़ के दूरस्थ विद्यालयों में जैसे तैसे अतिथि शिक्षकों से पठन पाठन चल रहा था, उनकी नियुक्ति भी चालू शिक्षा सत्र के आठ माह बीत जाने के बाद भी नहीं हुई। अब जाकर उनकी नियुक्ति की कवायद की जा रही है।
कब नियुक्ति होगी और कब बोर्ड परीक्षार्थियों की पढ़ाई होगी। जबकि शीलकालीन अवकाश अब करीब है। जिले में विज्ञान शिक्षा के लिए भी संसाधनों का अभाव है। कहीं लैब ही नहीं है तो कही उपकरणों का अभाव बना है। जैसे तैसे विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक कार्य करवाया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो शिक्षा व्यवस्था को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार पलायन बढ़ रहा है। अभिभावक अपने पाल्यों को पढ़ाना तो चाहते हैं, मगर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षा प्राप्ति के पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं।
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