उत्तराखंड के जंगलों में भारी मात्रा में पाया जाने वाला किनगोड़ शुगर जैसी भयानक बिमारी की दवा है वैसे तो किनगोड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर है लेकिन शुगर जैसी बीमारी का तो यह रामबाण इलाज है। दरअसल, किनगौड़ की जड़ों को पानी में भिगोकर रोज सुबह पीने से शुगर के रोग से बेहतर ढंग से लड़ा जा सकता है। इसका पानी पीलिया के मरीजों के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है।
किनगोड़ की जड़ी इतनी लाभकारी होती है इसकी जानकारी स्थानीय लोगों को नहीं होती है, बाहरी क्षेत्रों के ठेकेदार इसकी जड़ों को लेकर जाते हैं। लेकिन फलों की बात करें तो किनगोड़ का फल पसंदीदा जंगली फलों में से एक है। यह बेहद खास स्वाद के लिए अपनी पहचान बनाये हुए है। इसका लाजवाब जायका हर किसी को दीवाना बना देता है। फलों का सेवन मूत्र संबंधी बीमारियों से निजात दिलाता है। इसके फलों में मौजूद विटामीन सी त्वचा रोगों के लिए भी फायदेमंद है।
समुद्रतल से 1200 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाले किनगौड़ का वानस्पतिक नाम बरबरीस एरिसटाटा है। बरबरीन नामक रसायन की मौजूदगी के चलते इसका रंग पीला होता है। एंटी डायबेटिक गुण के चलते यह पौधा बाकि औषधीय पादपों से थोड़ा अलग है। इस पौधे की होम्योपैथी में बरबरिस नाम से दवा बनाई जाती है। इस पौधे की जड़ से अल्कोहल ड्रिंक बनता है। इसके अलावा कपड़ों के रंगने में इसका इस्तेमाल होता है। यह प्रजाति भारत के उत्तराखंड-हिमांचल के अलावा नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है।