आज वर्ल्ड आत्महत्या रोकथाम दिवस है। देश में आत्महत्या के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। उत्तराखंड राज्य में भी लगातार आत्महत्या के मामले बढ़े हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में 2019 में 2018 के मुकाबले 22 फीसदी आत्महत्या के मामले बढ़ें हैं। 2018 में राज्य से 421 आत्महत्या के मामले सामने आए थे।
2019 में उत्तराखंड में 516 लोगों ने विभिन्न कारणों से आत्म हत्या कर ली, इसमें से 394 मामले परिवार से जुड़े मुद्दों के कारण हुईं।
NCRB के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तराखंड में परिवार से जुड़े मुद्दों के कारण आत्महत्याओं का कुल 76 प्रतिशत है जोकि अन्य सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा 60.7 प्रतिशत परिवार के साथ दूसरा राज्य था, जिसके बाद 55.4 प्रतिशत के साथ त्रिपुरा में आत्महत्या के मामले थे।
परिवार से संबंधित आत्महत्या के 394 पीड़ितों में 260 पुरुष व 134 महिलाएं थीं। प्रेम प्रसंग भी आत्महत्या से मौत के कारकों में से एक था। 35 आत्महत्याएं प्रेम प्रसंग के चलते हुई इसमें 22 पुरुष और 13 महिलाएं थीं। शादी के मामले में 25 लोगों ने आत्महत्या कर ली क्योंकि वे अपने विवाहित जीवन को बसाने में असफल रहे। इसके अलावा राज्य में 54 छात्रों और 83 बेरोजगारों ने अपना जीवन समाप्त किया। बाकि अन्य लोग मानसिक बीमारी से ग्रसित थे।
इस बीच, मनोवैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में बढ़ती आत्महत्याओं के बारे में चिंता व्यक्त की है। वे कहते हैं कि परिवार के सदस्यों को एक साथ समय बिताना चाहिए और आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए एक-दूसरे पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तराखंड के महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार ने कहा कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर अंकुश लगाने में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। अशोक कुमार ने कहा “आज की दुनिया में जब बहुत से लोग मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर समय बिता रहे हैं, हमें वस्तुतः के बजाय भावनात्मक रूप से प्रत्येक के करीब होने की जरूरत है।”