उत्तराखंड में जंगली सूअरों की संख्या में बहुत जादा इजाफा हुआ है, चलो ये तो अच्छी बात है लेकिन ये जंगली सूअर जादातर ग्रामीण इलाकों की खेती के लिए काल साबित हो रहे हैं। ये जिस खेत पर बैठ जाते हैं बस वो चोपट कर ही छोड़ते हैं, बागेश्वर जिले के कत्यूर घाटी के कई गांवों में इन दिनों जंगली सूअरों का आतंक बना हुआ है। जंगली सूअरों के झुंड खेतों में घुसकर काश्तकारों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।
परेशान काश्तकारों ने वन विभाग से जंगली सूअरों को मारने की मांग की है। कत्यूर घाटी के धैना, बाड़ीखेत, रामपुर, मटेना, तिलसारी, मुझारचैरा , नौटा, अण्णा, च्वड़ास्टेट, गोमती घाटी, लाहुर घाटी, गड़खेत आदि गांवों में जंगली सूअरों का लंबे समय से आतंक बना हुआ है।
सूअर न केवल गेहूं, आलू आदि फसलों और सब्जियों को तहस-नहस कर रहे हैं बल्कि खेतों में गड्ढे भी बना दे रहे हैं। रात भर झुंडों में घुसे सूअर खेतों में डेरा डाले रहते हैं। इस कारण पूरी फसलें बर्बाद हो रही हैं। काश्तकार भूपाल सिह, लाल सिह, हरीश खोलिया, लक्ष्मी दत्त खोलिया, नीरज कांडपाल, सुरेंद्र सिह, देवनाथ, राजू शर्मा आदि का कहना है कि जंगली सुअर लंबे समय से उनकी फसलों को चैपट कर रहे हैं।
कई बार वन विभाग को सूचना देने के बाद भी न तो इनके आतंक से निजात दिलाई जा रही है और न ही उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है। परेशान काश्तकारों ने कहा कि यदि वन विभाग, जंगली जानवरों की समस्या से निजात नहीं दिलाता है तो उन्हें आंदोलन छेड़ने को बाध्य होना पड़ेगा। उत्तराखंड में लगभग हर जिले में ये हाल है। ')}