बाल गोपाल के जन्मोत्सव के लिए मंदिरों अलग-अलग तरह से तैयारियां की गयी। मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया था। इस अवसर पर मंदिरों और घरों में भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की गयी।
शहर के मंदिरों, आश्रमों और अन्य स्थलों पर कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी सुबह ही पूरी कर ली गयी थी। मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया। कई मंदिरों के बाहर चडोल भी बनाया गया। जिसमें बाल गोपाल के जीवन चरित्र से सबंधित झांकिया भी लगाई गयी।
लोग सुबह से ही अपने प्रिय प्रभु श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना के लिए मंदिरों में उमड़ना शुरू हो गए थे। देर रात तक मंदिरों मंे पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस बार जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र व वृषभ लग्न का अद्भुत संयोग बना।
इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए भक्तजन पूरे दिन उपवास रखते हैं। सुबह और शाम पूजा-अर्चना करते हैं। रात्रि जागरण और श्रीकृष्ण के नाम पर भजन-कीर्तन करते हैं।
2 सितंबर की रात्रि को 8 बजकर 48 मिनट से अगले दिन शाम 7 बजकर 20 मिनट तक अष्टमी तिथि ज्योतिशानुसार तय की गयी थी। 3 सितंबर को अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र का संयोग शाम 7.20 बजे तक रहेगा। ')}