देहरादून: जमीनों के बढ़ते विवाद और फ्रॉड के चलते राजधानी देहरादून विख्यात होती जा रही है। दरअसल, लोग जमीन खरीदते समय बेचने वाले पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं। जबकि जमीन के मामले में कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिए प्लॉट (जमीन का टुकड़ा) खरीदने के लिए कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं-
आप कोई भी प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो सबसे पहले ये देखें कि प्रॉपर्टी अब तक कितनी-बार खरीदी और बेची गई है। इसके लिए पुरानी रजिस्ट्रियां मांगें। फिर यह भी देखें कि सभी रजिस्ट्री में डिटेल एक-दूसरे से लिंक हो रही है या नहीं। जो आपको प्रॉपर्टी बेच रहा है उसका आइडेंटिटी प्रूफ देखें इसे डॉक्यूमेंट्स के साथ मैच करें। प्रॉपर्टी बेचने वाले से पावर ऑफ अटॉर्नी की कॉपी लें।
भूमि रिकॉर्ड की जानकारी–
आप जिस जमीन को खरीद रहे हैं, उसका रिकॉर्ड खंगालें। खेती की जमीन ले रहे हैं तो इसके डॉक्यूमेंट्स की जानकारी राज्य सरकार के राजस्व विभाग से मिल जाएगी। जमीन का खसरा नंबर पता करें। खसरा नंबर से आपको जमीन से जुड़ी सभी जानकारियां मिल जाएंगी। हाँ हाथ से बनाये हुए मेप पर विश्वास न करें, खसरा नंबर की जांच आसपास की प्रॉपर्टी से तालमेल कर देखें, कभी-कबार ऐसा होता है कि आपको जमीन कहीं और दिखाई जाती है और खसरा नंबर किसी और जगह का होता है।
चेक करें कि जिस कॉलोनी में आप जमीन खरीद रहे हैं वो वैध है या नहीं। कई लोगों को लगता है कि सरकार ने रजिस्ट्री कर दी तो प्रॉपर्टी वैध ही होगी लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा नहीं होता। रजिस्ट्री करते समय सरकार सिर्फ रेवेन्यू की एंगल से जांच परख करती है। कोई प्रॉपर्टी वैध है या नहीं, यह जांचने की जिम्मेदारी प्रॉपर्टी खरीदने वाले व्यक्ति की ही होती है।
इसके साथ ही आपको एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन करवाना भी जरूरी है। आज कल यह रजिस्ट्री के साथ ही कर दिया जाता है। बहुत से लोग एग्रीमेंट नहीं करवाते। ऐसा न करने पर कानूनी तौर पर आप कमजोर हो जाते है
जमीन खरीदने का पब्लिक नोटिस-
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले स्थानीय अखबारों में पब्लिक नोटिस देना अच्छा रहता है। (खासकर स्थानीय अखबारों में) ताकि खरीदे जाने वाली जमीन पर कोई दावा ठोकना चाहे तो ठोक सकता है। इससे यह भी मालूम चल जाएगा कि जमीन पर किसी थर्ड पार्टी का अधिकार तो नहीं है।
जमीन खरीद के ओरिजनल दस्तावेजों का वेरिफिकेशन-
बिक्री लेनदेन पूरी होने से पहले यह जरूरी है कि आप असली टाइटल डॉक्युमेंट देख लें। वह इसलिए ताकि मालूम चल सके कि विक्रेता ने थर्ड पार्टी राइट्स/चार्ज बनाकर उसे ओरिजनल के साथ विभाजित तो नहीं किया। बिक्री लेनदेन पूरी होने के बाद इन ओरिजनल दस्तावेजों को जरूर ले लेना चाहिए।
जमीन खरीद में टैक्स और खाता-
जमीन खरीदने से पहले खरीददार को यह देख लेना चाहिए कि प्रॉपर्टी ट्रांसफर और ओरिजनल रसीदों की तारीख तक प्रॉपर्टी टैक्स जमा हो चुका है। साथ ही खाता (मालिक के नाम को दर्शाने वाली राजस्व रिकॉर्डिंग) भी वेंडर के नाम पर होना चाहिए।
गिरवी जमीन-
यह भी संभावना है कि विक्रेता ने जमीन को गिरवी रखकर बैंक से लोन लिया हो। खरीददार को यह जरूर देखना चाहिए कि विक्रेता ने जमीन का पूरा बकाया चुका दिया है। बैंक द्वारा एक रिलीज सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, जिससे साबित होता है कि जमीन पर कोई बकाया नहीं है।
जमीन का माप-
अपने नाम पर जमीन कराने से पहले उसका माप जरूर ले लेना चाहिए। प्लॉट के बॉर्डर्स सही हैं, इसके लिए खरीददार को किसी नामी सर्वेयर की मदद लेनी चाहिेए। सटीकता कंपेयर करने के लिए सर्वे डिपार्टमेंट से जमीन का स्केच भी हासिल कर सकते हैं।
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