बीते 13 मई को गंगा में खनन खोलने के बाद से मातृसदन का आंदोलन चल रहा है। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की 11 दिन तक अनशन पर रहे। इसके बाद से मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने पहले अनशन किया और फिर जल भी त्याग दिया पिछले पांच दिनों से स्वामी शिवानंद ने जल ग्रहण नहीं किया है। जिससे लगातार उनके स्वस्थ्य में गिरावट आ रही है.
दो दिन तक मौन धारण करने के बाद 28 मई को प्रशासन उनके आश्रम में फोर्स फीडिंग कराने पहुंचा था। कटर से तारबाड़ व ताले काटकर आश्रम में दाखिल होने की घटना पर मातृसदन ने कड़ी आपत्ति जताई है।
ब्रह्मचारी दयानंद ने मातृसदन के अधिवक्ता अरुण भदौरिया के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में वाद दाखिल करते हुए आरोप लगाया कि पूरा षड्यंत्र मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इशारे पर रचा गया। जिलाधिकारी दीपक रावत के निर्देश पर एसडीएम मनीष कुमार भारी पुलिस बल को लेकर जबरन आश्रम में घुसे और पवित्र स्थल की मर्यादा भंग करते हुए स्वामी शिवानंद, ब्रह्मचारी पूर्णानंद और ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का धुएं से दम घोटकर हत्या का प्रयास किया गया। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए चार जून की तिथि निर्धारित की है। ')}