नैनीताल में पढ़े व उत्तराखंड के जनपद के मूल निवासी दिल्ली विश्वविद्यालय के युवा प्रोफेसर डॉ. दीवान सिंह रावत ने लाइलाज पार्किंसन बीमारी की औषधि खोज निकाली है। उनकी अमेरिकन पेटेंट प्राप्त औषधि को अमेरिका की एक कंपनी बाजार में निकालेगी। इसके लिए डॉ.रावत का अमेरिकी कंपनी से करार हो गया है।
औषधि विज्ञान के लिए यह बहुत बड़ी खोज बताई जा रही है। डॉ.रावत की इस उपलब्धि पर पूरे उत्तराखंड को गर्व की अनुभूति हुई है। उल्लेखनीय है कि देश के पूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड विलसन रीगन भी अपने अंतिम समय में, वर्षों तक इसी पार्किंसन नाम की लाइलाज बीमारी से पीड़ित रहे थे। उम्मीद की जा रही है कि अब जल्द ही दुनिया में लाइलाज पार्किंसन की डॉ.रावत की खोजी हुई औषधि बाजार में आ जाएगी।
डॉ.रावत उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद के ताकुला से आगे कठपुड़ियाछीना के पास दुर्गम गांव रैखोली के निवासी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही हुई। नौवीं कक्षा के बाद डॉ.रावत नैनीताल आ गए और यहां भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय से 10वीं व 12वीं तथा आगे यहीं डीएसबी परिसर से 1993 में टॉप करते हुए एमएससी की डिग्री हासिल की।
इसके बाद उन्होंने लखनऊ से प्रो डीएस भाकुनी के निर्देशन में पीएचडी की डिग्री हासिल की। 1999 में अमेरिका चले गए और तीन वर्ष वहां रहकर अध्ययन आगे बढ़ाया। वापस लौटकर 2002 में मोहाली और फिर 2003 में अपनी प्रतिभा से सीधे प्रवेश कर दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगे। 2010 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘सबसे युवा प्रोफेसर’ के रूप में भी प्रतिष्ठित हुए।