पहाड़ की बेटियों ने जिस दम ख़म से टीम इंडिया में अपना मुकाम बनाया उसके लिहाज से राज्य सरकार ने 2 मिनट में शून्य कर दिया। विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन कर लौटी बेटियों को अलग से सम्मान करनी की बात कही गयी थी और कहा गया था कि बेटियों को सरप्राइज दिया जाएगा। सायद बेटियों ने भी उम्मीद लगाईं होगी कि सरकार इतना तो जरूर कर सकेगी कि बेटी कहीं पर अपना आशियाना बना सकें। लेकिन जब 5-5 लाख रूपये के चेक बेटी के हाथ थमाया गया।
सम्मान मिलने के बाद एकता बिष्ट ने सामने-सामने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से सरप्राइज देने की बात कही गई थी, सच में वैसा ही निकला। इससे बेहतर तो उन्हें बुलाते ही नहीं। एकता के अनुसार विश्वकप खेलने वाली महाराष्ट्र व हैदराबाद की खिलाड़ियों को वहां की सरकार ने आशियाना और एक करोड़ की राशि तक दी है। वही मानसी जोशी ने भी कहा कि एक महीने बाद राज्य सरकार इतना बड़ा तोहफा देगी उन्होंने सोचा भी नहीं था।
मानसी ने पहले ही राज्य सरकार द्वारा दी गयी सरकारी नोकरी के ऑफर को दरकिनार कर कह दिया था कि सरकार इस से बढ़िया उनको कहीं आशियाना दे तो बेहतर होता वहीं एकता ने कहा कि वो यदि जॉब करना स्वीकार करेगी तो उसे रेलवे में जॉब करनी में आपति नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य तरह की जॉब में उन्हें खेलने के लिए समय नहीं मिल पायेगा।
मंगलवार को राष्ट्रीय खेल दिवस पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पदक विजेताओं के सम्मान समारोह में दोनों बेटियों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। लेकिन सरकार द्वारा सम्मान के बाद उनके मनोबल को एक तरह से तोड़ दिया गया क्या सरकार ने अन्य राज्यों की बेटी की तरह सम्मान देना उचित नहीं समझा? क्या सरकार को उनके मनोबल को ऊँचा नहीं उठाना चाहिए हम मानते हैं प्रदेश की दशा खराब है लेकिन इस तरह के सरप्राइज देने की बात तो नहीं करनी चाहिए थी।
अन्य प्रदेश की बेटियों को तो आते ही सम्मान राशि दी गयी। लेकिन उत्तराखंड की बेटियों को सरप्राइज कहकर इसके लिए खूब इन्तजार कराया गया। आपको बता दें कि हिमांचल की सुषमा वर्मा को वहां की सरकार ने 5 लाख रूपये और DSP की जॉब भी ऑफर की जिसे सुषमा ने खुश दिल से स्वीकार किया।
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