राष्टपति बनने के बाद पहली बाद राष्टपति रामनाथ कोविंद उत्तराखंड आ रहे हैं वो इसी महीने की 21 तरीक को उत्तराखंड पहुंचेंगे। राष्टपति रामनाथ कोविंद शिव में बड़ी आस्था रखते हैं राष्टपति जे के घर में उनके पिता और उनकी भाभी जी शिव की बहुत बड़ी भक्त हैं। घर में पाठ पूजा का और शिव भक्ति का बहुत पुराना प्रचलन है। आपको बता दें के इनके पिता ने इनका नाम दो शब्दों से मिलाकर रखा है जिसमे उनके आराध्य राम और भगवान् शिव शंकर का नाम आता है। राम और नाथ। इसलिए रामनाथ अपने घर से सबसे प्रिय पुत्र रहे। बचपन से पढ़ाई में जादा रूचि के चलते खुद पूजा पाठ तो नहीं कर पाते थे लेकिन घर में विशेष पूजा पाठ चलता रहता है। और वो घर की पूजा में सामिल होना कभी नहीं चुकते।
21 सितम्बर को राष्ट्रपति के उत्तराखंड आने को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर मुख्य सचिव और डीजीपी उन्हें रिसीव करेंगे। मुख्यमंत्री के अलावा अन्य कैबिनेट भी मौके पर उनका स्वागत कर सकते हैं। बाद वो सेना के विशेष हेलीकाप्टर से केदार घाटी पहुंचेंगे।
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यहाँ पर 2 घंटे तक पूजा अर्चना के बाद ओएनजीसी, टीएचडीसी और जिंदल ग्रुप के सीएसआर फंड से बनाए गए मंदाकिनी घाट और गेस्ट हाउस का शिलान्यास भी करेंगे। उसके बाद राष्टपति जी जॉलीग्रांट वापिस आयेंगे। इसके बाद जॉलीग्रांट से दिल्ली के लिए रवाना हो जायेंगे शिव की महिमा ने उन्हें ये स्थान दिया है उसके लिए वो शिव की चरणों में आना चाहते हैं राष्टपति चुनाव से पूर्व भी रामनाथ कोविंद ने घर में ही शिव की विशेष पूजा की गयी थी। इतना ही नहीं पुरे कानपुर और देशभर में उनकी जीत के लिए पूजा हवन किया गया था।
गरीब से निकलकर बना है देश का राष्टपति-
रामनाथ जी बचपन से बहुत गरीब थे घर भी गासफूस के होते थे। कहते हैं कि बचपन में राम नाथ कोविंद झोपडी में आग लगने के कारण बाल बाल बच गए थे। उनके बचने के लिए उनकी माता जी खुद जलाकर खाक हो गयी थी। गरीब घर से निकलकर जिस तरह उन्होंने दुनिया के सामने मिसाल पेश की वो काबिले तारीफ है। ')}