बड़ा घोटाला : केदारघाटी में आई 2013 की आपदा ने सबकुछ तहस नहस करके रख दिया था उसके बाद पुनिर्माण का कार्य अभी तक भी चल रहा है 300 करोड़ की मदद केंद्र सरकार की और से विशेष आयोजनागत सहायता (पुनर्निर्माण) यानी एसपीए-आर के मद में जारी की गई थी। सहायता के रूप में तीन सौ करोड़ की रकम में से हेरा फेरी की गयी है। अनुमान है कि 50 करोड़ का कोई लेखा जोखा नहीं है ये बात प्रथम जांच में सामने आ रही है, जिसमे घोटाले की गुप्त सुचना मुख्य सचिव को मिलने के बाद घोटाले की विस्तृत जांच की जा रही है घोटाले की सही रकम का पूरी जाँच के बाद ही पता लग सकेगा।
बताया जा रहा है कि एक काम के नाम पर ही तीन बार पैसा निकला गया है। इसमें कहा जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारीयों की मिलीभगत हो सकती है। हालाँकि मामले की अभी जांच की जानी है, अपर मुख्य सचिव ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। इस घोटाले में एक अहम बात है जो सामने निकल कर आई है उसमे बताया जा रहा है जी आपदा के लिए जारी किये गए 300 करोड़ की रकम में से एक तिहाई हिस्सा अकेले कम प्रभावित उत्तराकाशी पर खर्च हो गए।
यहाँ पर विजयनगर पुल के निर्माण के नाम पर कई बारी पैंसा जारी किया गया रुद्रप्रयाग जिले में भी पुल के निर्माण के लिए एक से अधिक बार पैंसा जारी करने की बात सामने आई है। इस बात की जानकारी जब मुख्य सचिव को हुई तो उन्होंने इस मामले में कड़ा फैसला लेते हुए मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। इस मामले में प्राथमिक जांच में घोटाले की बात सही साबित हुई है। अभी मामले की जांच की जा रही है।
इस तरह के घोटाले के सामने आने से शासन प्रशासन की पोल खुल गयी है। राज्य में हो रहे कार्यों में घोटाले का यह पहला मामला नहीं है। हर कदम पर हर एक उत्तराखंडी घोटालेबाज शिकार है। सडक निर्माण के कार्यों में ये सबसे जादा देखने को मिलता है तब वो चाहे पुल का निर्माण हो सडक का डामरीकरण हो या नयी सडक का कार्य हो हर जगह घोटालों ने सड़कों का बुरा हाल बना रखा है यहाँ तो भगवान को नहीं छोड़ते तो खैर इंसान क्या चीज है। ')}