पौड़ी: ग्राम स्यालिगां की एक महिला को गांव वालों ने 7 किमी दूर पैदाल चलकर अस्पताल पहुंचाया। महिला की तबियत 25 सितम्बर को बहुत ही नाजुक हो गई थी। पर सडक यातायात ना होने के कारण उन्होंने इलाज नहीं मिल पाया तो अगले दिन तबियत और भी जादा नाजिक हो गयी।
फिर 26 सितम्बर को जैसे- तैसे करके ग्रामीणों ने नदी नाले पर्वत लांग कर पगडण्डी के सहारे वृद्धा को स्यालिगां – मुन्डला से कोटद्वार तक 7 किलोमीटर की दूरी तय कर अस्पताल पहुंचकर जान बचाई।
ये ग्राम वासी हैं इनमें ज्यादा वो लोग हैं जिनकी उम्र 40 साल से भी ऊपर है फिर भी पूरा सहयोग दिया। और महिला को समय पर उपचार दिलाने में मदद की। जैसे कि आप तस्वीर देख रहे होंगे।
ये समस्या हमेशा से ही ग्रामीण झेलते आये हैं लम्बे समय से ग्रामीण यहां सडक की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार का इस और कोई ध्यान नहीं है बस हर बार चुनाव के टाइम में अश्वाशन दिया जाता है कि सरकार बन जायेगी तो रोड़ आ जायेगी।
लेकिन उसके बाद फिर लाचार ग्रामीण वासियों रोड़ के मांग के लिए जलूस निकलते रहे पर सरकार के सर पर जूं तक नहीं रेंग रहे हैं।
उत्तराखंड में बहुत से गांव है ऐसे जहां यातायात के साधन नहीं हैं और ऐसे हालात में जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ते हैं तो बहुत परेशानी होती है।
कई तो समय पर उपचार ना मिलने पर घर में ही दम तोड देते हैं या फिर कोई उपचार के लिए पहुंचाने से पहले ही रास्ते में सांस छोड़ देते हैं परन्तु सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
सरकार ने हर घर स्वच्यालय की बात पर ही पूरा ध्यान लगा दिया है अब तो वो यह भी भूल गयी है कि ग्रामीणों की सबसे मूलभूत जरूरत सड़क और पेयजल व्यवस्था है।
हम यह नहीं कह रहे कि स्वच्यालय बनाना गलत बात है लेकिन जिन गांव में सड़क ही नहीं है उन गांव तक सरकार ये सुविधा केसे पंहुचा रही है हमारी तो समझ से बहार है। ')}