कहते हैं प्रतिभा किसी उम्र की मौहताज नहीं होती है। बस जरूरत होती है तो उसे परखने और सवारने की। रुद्रप्रयाग के गुलाबराय निवासी 12 वर्षीय शुभम काला ने छोटी सी उम्र में बड़ी सोच और उसे व्यावहार में उतारने का बेहतरीन प्रदर्शन का नमूना दिखाया है।
डेम जैसे प्रोजेक्ट बनाने के लिए जहां वैज्ञानिकों के पसीने छूट जाते हैं वहीं इस बालक की नाजुक सोच ने दृढ़ काम करने का दुःसाहस किया जो वास्तव में काबिले तारीफ है।
एक ओर जहाँ अभिभावक अपने बच्चों को इंजीनियर डाॅक्टर, वैज्ञानिक आदि बड़े पद और रुतबे की नौकरियों के लिए मंहगी फीस देकर बड़े-बड़े शहरों में मंहगे कोर्ष करवाते हैं तो वहीं आज भी पहाड़ के ग्रामीण अंचलों में न जाने कितनी ही प्रतिभायें ऐसी हैं जो धन के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।
ऐसे ही प्रतिभा जनपद रुद्रप्रयाग के गुलाबराय में देखने को मिलती है जहां कक्षा 7 में पढ़ने वाला 12 वर्षीय शुभम ने किताबी ज्ञान के आधार पर विद्युत उत्पादन के लिए डेम जैसे बड़े प्रोजेक्ट का नमूना अपने अल्प संसाधनों में तैयार किया है।
प्लास्टिक की बाल्टी में स्टोर पानी को पाईप के माध्यम से थर्माकाॅल की नहर की धार छोटी सी मोर्टर ट्रावाहिन में छोड़ रखी है जिससे मोटर घूमने से बिजली पैदा हो रही है। वहीं डेम के निर्माण में क्या-क्या सामग्री लगती है और किस प्रकार उसका डिजाइन किया जाता है
शुभम ने अपने प्रोजेक्ट को बिल्कुल वैसा ही बनाया हुआ है। डेम के ऊपर से गुजरने वाले राजमार्ग का नक्सा भी बेहतरीन बनाया है। साथ ही सफाई करने वाला इलेक्ट्राॅनिक वैक्यूम क्लीनर और थार्मकाॅल आदि की कटिंग के लिए कटर मीशीन और विभिन्न इलेक्ट्रानिक शो-पीस सामग्री भी तैयार किए हैं।
शुभम काला ने अपने इस प्रोजेक्ट को अपने स्कूल में विज्ञान के अध्यापकों को दिखाया तो अध्यापक भी इस प्रोजेक्ट को देखकर हक्के-बक्के रह गए। लेकिन शुभम की इस प्रतिभा को उचित मंच न मिलने से उसके माता पिता भी मायूष हैं।
मां सरिता देवी गृहणी है तो पिता राजेन्द्र काला चाय की दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। बड़ी बहन दीक्षा 9वीं क्लास में पढ़ती हैं जबकि परिवार का सबसे छोटा शुभम बचपन से ही इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों से खेलता रहता था। उसका हमेशा से ऐसे कार्यों के प्रति रूचि रहती थी।
इसी जिज्ञासा का प्रतिफल है कि इतनी छोटी सी उम्र में शुभम इतनी बड़ी सोच विकसित करने और उसे अमलीजामा पहनाने में सफल रहा है। हालांकि आज उचित संसाधनों और बेहतर मंच न मिलने के कारण वह अपने मकसद में फलीभूत नहीं हो पा रहा है।
जहां सरकारें विद्युत जैसे प्रोजेक्ट माॅडल बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च करती हैं। वहीं छोटी सी उम्र में शुभम काला अल्प संसाधनों में अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
हमारी सरकारों को चाहिए कि वे ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों को आगे बढ़ने के लिए विद्यालयों से ही आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें ताकि शुभम जैसे छात्र भी डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिक बन सकें।
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