नैनीताल जनपद के पर्वतीय मेहनतकश किसान श्री आनन्द मणि भट्ट जो पहाड़ से पालायन से व्यथित थे। आनंद जी ने पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है वाली कहावत को झुठलाते हुए ऐसा काम किया जिससे क्षेत्र में उन्हें अलग पहचान मिली है।
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उन्होंने नौकरी का मोह त्याग कर 50 नाली पहाड़ की जमीन से सोना उगाने का जज्बा मन में पाला और शुरू कर दी खेती किसानी। आनन्द मणि भट्ट, जिला नैनीताल, विकास खण्ड भीमताल, ग्राम अलचौना के निवासी हैं। वो एक किसान परिवार से हैं और शैक्षिक योग्यता में एम कॉम पास हैं।
पढ़ाई के दौरान बीच पिता जी का देहान्त हो गया, जिससे परिवार का बोझ आनंद जी के कधों पर आ गया और उन्हें फिर काफी संघर्ष करना पढ़ा। पढ़ाई के बाद जॉब करने लगे, मन में पहाड़ के पलायन का दर्द भी रहता था। मन में खेती बाड़ी को लेकर दिलचस्पी तो पहले से ही थी। इसलिए वो अक्सर किसान मेले में जाया करते थे।
काफी समय बाद एक बार किसान मेले में आनंद जी की मुलाकात श्री कमल किशोर पंत जी वर्तमान सहायक निर्देशक आत्मा परियोजना भीमताल से हुई। जिन्होने खेती की तरफ इनका रुक मोड़ दिया और आनंद जी ने खेती का मन बना लिया।
वो कहते हैं कि एक बार किसान गोष्ठी में प्रगतिशील किसान श्री नरेन्द्र सिंह मेहरा जी से उनकी मुलाक़ात हुई। जिनसे वे बहुत प्रभावित हुए और उनके द्वारा इन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। आदरणीय श्री नरेन्द्र सिंह मेहरा जी में सबको साथ लेकर चलने की विशेषता है। जो स्वयं कर्मठ व श्रमशील होने के साथ विनम्र स्वभाव के धनी है।
जो स्वयं प्रगतिशील किसान होने के साथ- साथ प्रगतिशील किसानों की खोज में लगे हैं, जैविक उत्पादन का पुरजोर प्रचार प्रसार कर रहे है किसानों की समस्या का निदान की ओर प्रयासरत है। उन्होंने उनके जज्बे को सलाम किया।
वो कहते हैं कि प्रारंभ में क्योंकि अब जानवरो का काफी आतंक था, रात मे सूअर,सौल, और दिन में बंदर आदि, जिससे खेती में काफी दिक्कत होती थी, पर इन्होने हार नही मानी और आधुनिक खेती की जानकारी श्री पंत जी एवं गो.ब. पन्त विश्वविद्यालय से बार बार लेता रहे।
इन विषम परिस्थितियों मे खेती से आय होने लगी। इनकी मेहनत रंग लाने लगी, और सन 2017 में उत्तराखंड सरकार ने इन्हें जिले के सबसे बडे किसान भूषण पुरुस्कार से नवाजा। तभी कहा है, मेहनत करने वाले की हार नही होती, पर वो उत्तराखंड सरकार से एक विनती भी करना चाहते थे कि जँगली जानवरो से फसल की रक्षा हेतु कुछ विशेष कदम उठाने चाहिए।
उनका कहना है कि सरकार द्वारा पहाड़ में खेती के लिए युवा की रुचि मोड़नी चाहिये। क्योकि आज पहाड़ का युवा पहाड़ से पलायन कर रहा है, और जिससे नशे आदि की लत से अपने और अपने परिवार का नुकसान कर रहा है।
आनंद जी के पास वर्तमान में 50 नाली जमीन है जिसमे वे खेती करते हैं, जिसमें आलू, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, सलादी मिर्च, खाने वाली मिर्च, टमाटर, बीन, मटर आदि की खेती की जाती है, खेती सिचाई एवं फब्बारा से की जाती है। इतना ही नहीं उनके पास खेती के अलावा पशु भी है। जिससे इनकी आय मे ईजाफा होता है। आनंद भट्ट जी की सारी सब्जी हल्द्वानी मंडी में बेची जाती है।
सौजन्य-नरेन्द्र सिंह मेहरा एक प्रगति सिंह किसान.. ')}