उत्तराखंड के रहने वाले एयर मार्शल अरविंद सिंह बुटोला एयर फोर्स के इतिहास में 21 विभिन्न प्रकार के विमानों में 6700 घण्टे से अधिक उड़ान का अनुभव रखने वाले फाइटर पायलट हैं, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज बुटोला की जड़ें पुराना दरबार में हैं।
टिहरी नगर का पुराणा दरबार का बुटोला हाऊस देखने लायक था। क्या तिबार थीं क्या नक्काशीदार खंभे थे। आंगन में रौनक हुआ करती थीं। इस हाऊस को अरविंद के दादा श्री फतेह सिंह बुटोला ने बनाया था। फतेह सिंह बुटोला राजा श्री कीर्ति शाह की रियासत की सरकार में रशूखदार पद पर थे। पुराणा दरबार चार राजाओं की राजधानी भी रही है। बुटोला हाऊस का बाड़ा था। उसमें लोग आसानी से जा नहीं सकते थे। इसकी तिबार शहर की खूबसूरती में चांद लगा देती थीं। तलया मंडल गाँव (जखण्ड), कीर्तिनगर ब्लॉक से दादा का टेलेंट रियासत में ले आया था।
फतेह सिंह के दो बेटे हुए श्री राजेन्द्र सिंह बुटोला, बचेंद्र सिंह बुटोला। राजेन्द्र यूपी के टॉप सरकारी वकीलो में थे। टिहरी में पीपी थे। जबकि बचेन्द्र भी देहरादून में सरकारी वकील थे। यानी दोनों भाई पीपी थे। पीपी साहब के जमाने में भी बुटोला हाऊस की शान थीं। बचेन्द्र सिंह बुटोला के इसी हाऊस में पैदा हुए थे अरविंद सिंह बुटोला, जो वर्तमान में भारतीय वायु सेना में एयर मार्शल हैं। एयर मार्शल अरविंद की माँ चकराता से 1977 में विधायक रहे शूरवीर सिंह चौहान की बहन थीं। बचेन्द्र जी का खुडबुडा (जीपीओ )के पीछे देहरादून में घर था।
अरविंद जी के पास भी टिहरी से जुड़ी यादें हैं। 1981 वह वह एनडीए से चयनित हो गए थे। वह एयर फोर्स में हेलीकॉप्टर पायलट बने। आज वह वायु सेना अकादमी हैदराबाद में कामन्डेंड हैं। उनका हेलीकॉप्टर पायलट का इतिहास उजला रहा है। राजेन्द्र बुटोला के बेटे कर्नल श्री रविन्द्र बुटोला हैं। जो चेन्नई में बस गए हैं। कर्नल की दो बहनें देहरादून में रहती हैं।
अरविंद जी नेशनल डिफेंस कालेज नई दिल्ली से ग्रेजुएट्स हैं। वह एक योग्य, अनुभवी उड़ान प्रशिक्षक हैं। एयर फोर्स के इतिहास में उनका 21 विभिन्न प्रकार के विमानों में 6700 घण्टे से अधिक उड़ान का अनुभव है। संभवतः बुटोला का यह रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज है। सियाचिन में जोखिम और चुनोती भरे स्थान में हेलीकॉप्टर उतारने का अनुभव है। साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर में एक हेलीकॉप्टर इकाई की कमान भी संभाली।
नामीबियन रक्षा बल के वरिष्ठ उड़ान प्रशिक्षक और एडवाइजर भी रहे।वह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में मुख्य परीक्षण पायलट भी रहे। पश्चिमी वायु कमान के तहत एक एयर बेस के स्टेशन कमांडर, एक ऑपरेशनल कमांड के वरिष्ठ अधिकारी-प्रभारी, साथ ही एयर स्टाफ ऑपरेशन (परिवहन और हेलीकॉप्टर) के सहायक प्रमुख थे। इंडियन एयर फोर्स में तीन प्रकार पायलट होते हैं। पहला फाइटर, दूसरा हेलीकॉप्टर, तीसरा ट्रांसपोर्ट। बुटोला जी हेलीकॉप्टर पायलट हैं।
भारत में एयर चीफ मार्शल एक बार को छोड़ कर, हर बार फाइटर पायलट ही बने हैं। यदि बुटोला का एयर चीफ मार्शल में नंबर आ जाता तो, भारतीय वायु सेना में उत्तराखण्ड इतिहास बनाता। आर्मी में दो बार पूर्व में उत्तराखण्डी आर्मी चीफ रहे हैं। लेकिन बुटोला का दूसरे या तीसरे रैंक में जाना ही बड़ी बात है। इसी में संतोष करना होगा। एयर मार्शल बुटोला जी को विशिष्ट मेडल, अति विशिष्ट मेडल, से सम्मानित किया गया है।
शीशपाल गुसाईं जी की फेसबुक वाल से