सोराल उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले (विकासखंड सल्ट) का एक सुन्दर गांव, कॉर्बेटपार्क से सटा प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर गांव है, लेकिन दुर्भाग्य तो देखिए आजादी से 70 साल बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। एक तरफ मूलभूत सुविधा नहीं होने की वजह से गांव पलायन की मार झेल रहा है, वहीं, जो ग्रामीण गांव में हैं वो आज भी सड़क बनने का इंताजर कर रहे हैं।
स्थिति यह है कि ग्रामीण बीमार व्यक्ति को मुख्य मार्ग से 7 किलोमीटर पैदल चलकर खटिया पर सड़क तक पहुंचते हैं उसके बाद उसे सड़क मार्ग से अस्पताल पहुंचाया जाता है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सोराल गांव तक सड़क बनाने मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक से मिल चुके हैं लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। केवल वोट मांगते समय सड़क बनाने का वादा हर बार सुना हैं। तमाम दुश्वारियों को झेलते हुए अब ग्रामीणों ने खुद ही फावड़ा-कुदाल उठाकर सड़क बनाने का जिम्मा उठाया है।
इस काम में बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग भी जुटे हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अब उनका जज्बा गाँव तक सड़क बनाने के सपने को पूरा करेगा। साथ ही ग्रामीण ‘हर गांव सड़क’ की बात याद दिलाते हुए सरकार से ग्रामीणों के सहयोग की मांग कर रहे हैं, क्योंकि ग्रामीणों का कहना है कि सड़क मार्ग काफी लंबा है जिसे बनाने में कई तरह की समस्याएं भी ग्रामीणों के काम में उलझनें पैदा करेंगी।
सैकड़ों परिवारों से जुड़े इस मार्ग को बनाने के लिए स्थानीय विधायक हर बार सड़क बनाने का वादा करते हैं और फिर कभी मुँह तक नहीं दिखाते हैं। ग्रामीणों ने इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट करके स्थानीय विधायक जी को उनका नाम लेकर उनका किया वादा भी याद दिलाया है।
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क हम जरूर बना लेंगे लेकिन बड़े-बड़े वादे करने वाले विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि कल के दिन इस सड़क से किस मुहं से वोट मांगने आएंगे?