चमोली: बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार को अपराह्न तीन बजकर 21 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। सोमवार को भगवान बदरीनाथ के दर्शनों के लिए लगभग 4000 तीर्थयात्री और स्थानीय श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे। मुख्य पुजारी श्री रावल ने माता लक्ष्मी को भगवान संग गृभ गृह मे विराजित किया।
उच्च हिमालयी धाम मे विराजमान कलियुग पापाहारी भगवान श्री हरिनारायण के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने की सभी धार्मिक परंपराएं संपादित कर ली गई। पंच पूजाओ के पाॅचवे दिवस दोपहर मे परिक्रमा परिसर मे स्थित माता लक्ष्मी जी का विशेष पूजन हुआ।
इसके उपरात अपरान्ह मे श्री बदरीनाथ के मुख्य पुजारी श्री रावल ने स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी की श्रीविगृह को लक्ष्मी मंदिर से भगवान नारायण के संग गृभगृह मे विराजित किया। अब शीतकाल मे माता लक्ष्मी भगवान नारायण संग विराजमान रहेगी। इससे पूर्व की अन्य पंरपराओ मे गणेश भगवान की पूजा, आदिकेदारेश्वर की पूजा, खडक/पुस्तक की पूजा व वाचन का बंद किया जाना आदि हुई।
इधर कपाट बंद होने से पूर्व ही भगवान बदरीविशाल के सिंहद्वार को गेंदो के पुष्पो से सजाया गया हैं। भगवान श्री हरिनारायण के कपाट बंद होने से पूर्व भगवान का श्रृंगार पुष्पो से किया जाएगा। और सांय तीन बजकर 21 मिनट पर भगवान नारायण के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जायेंगे।
कपाट बंद होने के साथ ही भगवान संग विराजमान रहने वाले उद्वव व कुबेर के विगृह भी गृभ गृह से बाहर निकाले जाऐगे। भगवान कुबेर बामणी गाॅव तथा भगवान उद्वव रावल निवास मे रात्रि प्रवास करेगे। अगले दिवस 21 नवबंर को मुख्य पुजारी श्री रावल शंकराचार्य गददी , कुबेर व उद्वव की डोली के साथ पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगे। बदरीनाथ मंदिर को करीब बीस क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। ')}