प्रदेश की 25810 भोजन माताओं को ड्रेस के लिए दो करोड़ 58 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। ये धनराशि डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से भोजनमाताओं के खातों में जमा की जाएगी। शासन ने शिक्षा निदेशालय को इसके निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही प्रदेश में भोजन माताओं का मानदेय बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।
शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को इसका प्रस्ताव भेजा गया है। जिसमें भोजन माताओं का मानदेय दो हजार रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये किए जाने का प्रस्ताव है। बता दें यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब प्रदेशभर में भोजनमाताओं का आंदोलन चल रहा है। हालांकि सरकार का कोई भी फैसला उनकी मांगों के अनुरूप नहीं आया है।
ये हैं भोजनमाताओं की मांगें-
- भोजन माताओं को मजदूर/कामगार घोषित किया जाना चाहिए।
- सभी भोजनमाताओं को स्थायी नियुक्ति दी जाए।
- सेवानिवृत्ति के बाद भोजन माताओं के लिए पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
- भोजन माताओं को स्कूल बंद होने पर मानदेय नहीं दिया जाता है। उन्हे पूरे 12 महीने का वेतन दिया जाए।
- भोजनमाताओं का मानदेय बढ़ाया जाय जो अभी 2000 हजार रुपये मिलता है, इतने में वह परिवार का पालन-पोषण व बच्चों की पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं।
- भोजनमाताएं जो 14-15 साल से काम कर रही हैं, छात्र संख्या कम होने के कारण उन्हें निकाला जा रहा है, ऐसा नहीं होने दिया जाय।
- भोजनमाताएं आज भी जंगल से लकड़ी लाती हैं और उन्हें जलाकर खाने बनाने को मजबूर हैं। भोजनमाताओं को धुआं से मुक्ति दिलाई जाए।
- वेतन और बोनस समय पर दिया जाए।
- इसके साथ ही मिड-डे-मील का निजीकरण न किया जाए।