देहरादून: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल को कोरोनावायरस मुक्त घोषित किया गया है क्योंकि पिछले 28 दिनों में जिले से एक भी पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है। जिले का एकमात्र कोरोना संक्रमण का मामला 16 मार्च को आया था। कोटद्वार का एक 26 वर्षीय व्यक्ति, कोरोना संक्रमित पाया गया था। अप्रेल के पहले सप्ताह में युवक स्वास्थ्य होकर घर लौट गया था। 28 दिनों से पौड़ी में कोरोना का नया मामला नहीं आया है इसके साथ ही पौड़ी जिला ग्रीन जोन में शामिल हो गया है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के अनुसार, जहां पिछले 28 दिनों से एक भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है, उस जिले को ग्रीन जोन की सूची में शामिल किया जाएगा। इसके चलते इन क्षेत्रों में कुछ सेक्टर को सरकार की योजना के अनुसार छूट दी जा सकती है, जैसे-आवश्यक सेवाएं, बिजनेस मूवमेंट आदि।
प्रदेश में 8 जिले ग्रीन जोन में –
पौड़ी के ग्रीन जोन में शामिल होने के बाद उत्तराखंड में ऐसे जिलों की संख्या 7 से बढ़कर 8 हो गई है। प्रदेश में देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल तीन जिले रेड जोन में शामिल हैं जबकि, अल्मोड़ा और उधमसिंह नगर ऑरेंज जोन में हैं, अल्मोड़ा में भी पिछले 16 दिनों में कोई नया मामला नहीं आया है। यहां संक्रमित मिला एकमात्र कोरोना मरीज सही होकर घर लौट चूका है वहीं, उधम सिंह नगर में भी 18 दिनों से कोई नया मामला सामने नहीं आया है। यहां पाए गए चार कोरोना संक्रमित मरीजों में 3 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
कोरोना की रफ़्तार रोकने में कामयाब रहा उत्तराखंड देश में तीसरा स्थान-
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 46 है। इसमें से 19 लोग स्वास्थ्य होकर घर लौट चुके हैं जबकि 27 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में उत्तराखंड सरकार काफी हद तक कामयाब रही है। देश में कोरोना को रोकने में केरल और उड़ीसा राज्यों के बाद उत्तराखंड का नाम आया है, यहां संक्रमित मामले दोगुना होने की दर 26.6 दिन है। केंद्र सरकार ने भी प्रदेश की सराहना की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित जिला के जिलाधिकारियों और तमाम कोरोना योद्धाओं ने कोरोना पर पूरी ईमानदारी के साथ काम किया, जनता का भी भरपूर साथ मिला, जिसका यह परिणाम है।
एक तरफ प्रवासी उत्तराखंडियों को वापिस लाने के दबाव में भी मुख्यमंत्री ने सभी से यही निवेदन किया कि जो जहाँ हैं। वो वहीं रहे और स्वस्थ रहें। कई विदेशी पर्यटकों को भी सतर्कता के साथ केंद्र के हवाले किया गया, राज्य में जरूरी वस्तुओं की खरीद के सीमित समय दिया गया। लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करवाने के निर्देश दिए गए, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही जनजागरूता के लिए कई कदम उठाये गए, एक तरह से कहा जाए तो मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के साथ खड़े दिखाई दिए, यहाँ तक कि राज्य के अंदर आने-जाने की छूट देने सम्बंधित घोषणा को भी मुख्यमंत्री ने वापस ले लिया था।
दूसरी और प्रदेश में हजारों लोग वापस अपने घर गाँव लौट आये हैं पहाड़ी क्षेत्रों में जिलाधिकारियों और ग्राम प्रधानों ने बाहर से आने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखी और होम संगरोध का कड़ाई से पालन करवाया। हमारी पुलिस और डॉक्टर्स ने जो कर दिखाया वो तो मिसाल बन रही हैं। अभी भी कोरोना से लड़ाई काफी लंबी है, इसके लिए प्रदेश की जनता को इसी तरह एक होकर लड़ते रहने की जरुरत है, क्योंकि जब हम कोरोना से जीत जाएंगे तब प्रदेश की जनता को ही इसका सबसे बड़ा श्रेय जाएगा।