कुछ समय पहले नीति आयोग ने मेट्रिनो का संचालन पायल प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने की हरी झंडी दे दी है। हालांकि आयोग ने दिल्ली के लिए इसकी संस्तुति की है। इसी तर्ज पर दून में भी इसके संचालन के प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसकी वजह यह कि यहां भी जाम की समस्या दिनों-दिन विकट होती जा रही है। मेट्रिनो की सबसे खास बात यह कि इसका संचालन अधिक भीड़-भाड़ वाले इलाके में भी किया जा सकेगा।
जमीन से कई मीटर ऊपर पाइप के सहारे दौड़ने वाली मेट्रिनो परियोजना पर प्राधिकरण ने काम शुरू कर दिया है। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के समक्ष इसका प्रस्तुतीकरण भी किया। दुनिया के बड़े शहरों में इनका प्रयोग किया जा रहा है। दिल्ली में भारत सरकार ने धौला कुआँ से मानेसर तक परियोजना को मंज़ूरी दी है।
इस परियोजना में किसी बड़े ढांचे के निर्माण की भी जरूरत नहीं होती है। मुख्य सचिव ने भी परियोजना पर सहमति व्यक्ति की और अब मेट्रिनो बनाने वाली इसी नाम की कंपनी मेट्रिनो के अधिकारियों को दून में बुलाने की तैयारी की जा रही है। ताकि वह यह सुनिश्चित कर पाएं कि शहर के किन हिस्सों में इसका संचालन संभव है। मेट्रिनो एक पॉड (डिब्बा) टैक्सी की तरह है और यह रोप-वे की तरह नजर आती है। हालांकि रोप-वे ट्रॉली को किसी स्थान पर रोकने पर अन्य ट्रॉली भी थम जाती हैं, जबकि मेट्रिनो में ऐसा नहीं होता। साथ ही यह एयर कंडीशंड (एसी) सुविधा से भी लैस होती है। ')}