रक्षाबन्धन के दिन देवीधुरा में माँ बाराही के मंदिर प्रांगण में खेली जाने वाली ऐतिहासिक बग्वाल समाप्त हो गई । परंपरानुसार चार खामों में 7 तोकों के बीच ये बग्वाल खेली गई, प्राचीन युद्ध को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग देवीधुरा पहुंचे ।
फल-फूल से बग्वाल खेलने के बावजूद 120 से ज्यादा रणबांकुरे इस युद्ध में घायल भी हुए, पहले इस युद्ध में दोनों ओर से पत्थर फेंके जाते थे, दरअसल पहले मां बाराही को नरबलि दी जाती थी । उसके विकल्प के रूप में चारों कामों ने आपसी सहमति से यह बग्वाल की परंपरा शुरु की थी ।
इसमें जब किसी इंसान की बलि जितना रक्त निकल जाता था, उसके बाद इस युद्ध को रोक दिया जाता था । बाद में पत्थरों से होने वाले भारी नुक़्सान को देखते हुए पत्थरों की जगह फलों और फूलों से बग्वाल खेली जाने लगी ।
चूंकि इस इलाक़े में नाशपाती भरपूर होती है इसलिए दोनों पक्ष नाशपाती फेंककर ही एक-दूसरे को परास्त करने की कोशिश करते हैं बग्वाल खेलने के लिए नौ क्विंटल नाशपाती का प्रयोग किया गया । ऐतिहासिक बगवाल को देखने के लिए पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और सांसद अजय टम्टा, विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, राम सिंह कैंडा सहित सैकड़ों लोग शामिल रहे।