स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर मातृभूमि के लिए कुर्बान हुए उत्तराखंड के 2 वीरों को वीरता सम्मान से सम्मानित होने की घोषणा हुई है। मेजर शहीद विभूति ढौंढियाल को शौर्य चक्र (मरणोपरांत) व मेजर शहीद चित्रेश बिष्ट (मरणोपरांत) को सेना मेडल से नवाजा जाएगा। सैन्यधाम उत्तराखंड के लिए यह गर्व की बात है।
देहरादून निवासी दोनों युवा सैन्य अधिकारी इसी वर्ष फरवरी में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे। शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को शौर्य चक्र और शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को सेना मेडल के लिए चुना गया।
मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पिपली गांव निवासी मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार पिछले कई वर्षों से देहरादून की ओल्ड नेहरू कॉलोनी में रहा रहा है। इसी वर्ष 16 फरवरी को राजौरी के नौसेरा सेक्टर में आतंकियों ने एलओसी पार कर यहां इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगा दिया। ‘
सूचना मिलने पर इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर चित्रेश ने सैन्य टुकड़ी के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर त्रितेश बिष्ट आइईडी डियूज्ड करने में महारथ हासिल थी। लेकिन इसी बीच आइईडी ब्लास्ट होने से वह शहीद हो गए। मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थी। मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च को होनी थी। शादी के कार्ड भी बंट चुके थे।
शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल देहरादून के नेशविला रोड के रहने वाले थे। वह बीती 18 फरवरी को पुलवामा में हुए आंतकी हमले में शहीद हो गए थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकवादियों ने सीआरपीएफ की टुकड़ी पर फिदायिन हमला किया था। इसके तीन दिन बाद यहां पर आतंकियों व सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई। आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में मेजर विभूति शहीद हो गए थे।
उनके साथ सेना के तीन और जवान भी शहीद हुए थे। सेना के जवानों ने जैश के दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया था। 34 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) में तैनात थे। वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे। पिछले साल अप्रैल में उनकी शादी हुई थी। उनके पिता स्व. ओमप्रकाश कंट्रोलर डिफेंस एकाउंट से सेवानिवृत्त थे। मेजर ढौंडियाल मूलरूप से पौड़ी जिले के बैजरों ढौंड गांव के मूल निवासी थे।
')}