हरिद्वार में 9 साल की नाबालिग का अपहरण के बाद दुष्कर्म और हत्या के मामले में विशेष पॉक्सो कोर्ट ने मुख्य आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। इसी के साथ 1 लाख 30 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। जज अंजली नौलियाल ने साक्ष्य मिटाने का दोषी मानते हुए सह अभियुक्त राजीव कुमार को पांच साल के कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
तीसरे अभियुक्त को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। तीनों ही मूल रूप से सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश निवासी हैं। सजा पाने वाले अभियुक्त मामा-भांजा हैं। वहीं फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 12 महीने के भीतर दोषियों को सजा सुना दी है। कोर्ट का फैसला आने पर बच्ची के परिवार ने संतोष व्यक्त किया है। लेकिन उनका कहना है कि उसके मामा राजीव की भूमिका भी गंभीर थी, उसे भी और सजा मिलनी चाहिए थी।
शासकीय अधिवक्ता आदेश चंद चौहान ने बताया कि 20 दिसंबर 2020 को हरिद्वारा निवासी 9 साल की बच्ची मुख्य अभियुक्त रामतीर्थ से पतंग लेने की बात अपनी मां से कहकर घर से निकली। अन्य बच्चों से पूछताछ में पता चला कि रामतीर्थ बच्ची को पतंग दिलाने के बहाने अपनी फैक्ट्री में ले गया था। कुछ देर बाद बच्ची का शव पास की कालोनी में रामतीर्थ के मामा राजीव के मकान की छत पर बने गोदाम में सामान के बीच पड़ा मिला। बच्ची की दुष्कर्म के बाद रस्सी से गला घोंट कर हत्या की गई थी। पुलिस ने आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया था जबकि राजीव मौके से फरार हो गया था ऋषिकुल क्षेत्र में बच्ची से दरिंदगी की खबर पूरे शहर में जंगल की आग की तरह फैल गई थी, इसके बाद लोगों ने कई बार जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किए। बाद में पुलिस ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से राजीव को भी गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ था।