उत्तरकाशी : 59 वर्षों के बाद टूरिस्ट के लिए गर्तांग गली को खोल दिया गया है जो पर्यटकों को रोमांच का एहसास दिला रही है। कोविड नियमों के साथ एक बार में 10 पर्यटक ही जा सकते हैं, फिलहाल गर्तांग गली से सामने आई खूबसूरत तस्वीरें देशभर के पर्यटकों को भी भा गई हैं, सोशल मीडिया पर मिल रही प्रतिक्रियाओं से लगता है कि पर्यटकों में यहां घूमने के लिए भारी उत्साह है और आने वाले समय में यहां पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिल सकती है।
उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी की भैरोंघाटी के समीप गर्तांग गली में खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रेक है। यह ट्रेक पुराने समय से भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह रही है। बुधवार को उत्तरकाशी के डीएम मयूर दीक्षित ने गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक व जिला पर्यटन विकास अधिकारी को गर्तांग गली को पर्यटकों के लिए खोलने के निर्देश दिए थे।
बता दें कि प्राचीन समय में सीमांत क्षेत्र में रहने वाले जादूंग, नेलांग को हर्षिल क्षेत्र से पैदल मार्ग के माध्यम से जोड़ा गया था। मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार भी करते थे। सेना भी सीमा की निगरानी के लिए इस मार्ग का उपयोग करती थी। बाद में चलन से बाहर होने पर ट्रेक क्षतिग्रस्त हो गया था इसके जर्जर स्थिति को देखते हुए यहां पर्यटक ट्रेक नहीं कर सकते थे लेकिन अब आप साहसिक ट्रेक पर घूमने जा सकते हैं।
लोक निर्माण विभाग ने इस विश्व विरासत का पुनर्निर्माण 65 लाख की लागत से किया है, जो करीब 136 मीटर लंबी सीढ़ीनुमा रास्ता है और चौड़ाई करीब 1.8 मीटर है। करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर जाड़ गंगा के ऊपर खड़ी चट्टानों पर रोमांच से भरपूर इस ट्रेक पर आने वाले पर्यटकों को कोविड नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए गर्तांग गली की सीढ़ियों का पुनर्निर्माण कार्य किया गया। इस पुल का ऐतिहासिक और सामरिक महत्व है। सरकार की ओर से इस पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है और इससे जुड़े सभी आयामों को विकसित किया जा रहा है।