देहरादून: भाजपा ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के हवाले से पार्टी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि अनुशासनहीनता के कारण डॉ हरक सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके बाद उन्हें मंत्रिमडल से भी बर्खास्त कर दिया गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव द्वारा दो अलग-अलग पत्र जारी किए गए हैं। हरक सिंह रावत की दबाव की राजनीति से आजीज आ चुकी भाजपा को यह निर्णय लेना पड़ा। हरक सिंह रावत अपने लिए मनमर्जी की सीट चाह रहे थे और बहू अनुकृति गुंसाई के लिए लैंसडौन सीट से टिकट चाह रहे थे। ऐसा न करने पर वह दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे थे। हरक सिंह रावत की दबाव की राजनीति का भाजपा के पास इससे अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं था।
भाजपा से हटाने के बाद हरक सिंह रावत की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। हरक रावत ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि भाजपा ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि मैं लगातार इस बात को पार्टी के अंदर बोलता रहा कि इस बार भाजपा की सरकार नहीं आने वाली है। प्रदेश भर में आम लोग भाजपा की सरकार से बहुत ज्यादा परेशान हैं, लेकिन मैंने कभी भी यह नहीं सोचा कि मैं बीजेपी को छोड़कर किसी और दल में चला जाऊं। हां कभी-कभी मजाक में जरूर यह बात कही लेकिन दिल से कभी मैंने भाजपा को छोड़ने की बात नहीं कही।
उन्होंने आगे बात करते हुए कहा कि मुझे 5 साल तक काम नहीं करने दिया गया और मैं इस बात से बहुत नाराज था। मैं परिवारवाद के खिलाफ हूं लेकिन मेरी बहू को टिकट मैंने जरूर मांगा था। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लेकर कहा कि मुझे मुख्यमंत्री से बहुत सहयोग मिला। साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी और शाह ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया।