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Raibaar Uttarakhand > Home Default > उत्तराखंड संस्कृति > उत्तराखंड का एक ऐसा वृक्ष ओर फल जिसे आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ने इसलिए अपनाया….
उत्तराखंड संस्कृति

उत्तराखंड का एक ऐसा वृक्ष ओर फल जिसे आयुर्वेद और विज्ञान दोनों ने इसलिए अपनाया….

Last updated: September 28, 2021 7:02 pm
Debanand pant
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3 Min Read
kafal
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काफल-(वानस्पतिक नाम: एक लोकप्रिय पहाडी फल हैं। जो गर्मी के मौसम मे होता है। यह मुख्यता हिमालय के तलहटी मैं होता है। इसकी छाल का प्रयोग चर्मशोधन (टैंनिंग) में होता है। दुनिया में वैज्ञानिकों से लेकर आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने इसे दवाई के लिए हमेशा इस्तेमाल किया है आईये जानते हैं काफल की कुछ काश बातें और उत्तराखंड से जुडा इसका ख़ास रिश्ता-

काफल एक ऐसा फल जिसका नाम सुनते ही स्थान विशेष उत्तराखण्ड के लोगों का मन अनुपम आनंद से भर उठता है। इस फल का महत्त्व इसी बात से आँका जा सकता है कि यह वहाँ के लोगों के मन में इस प्रकार छाया है कि लोक गीत-संगीत, लोक कथाएँ भी इसके बिना अधूरी सी हैं।

 

काफल के पेड़ ओर फल के फायदे-

यह पेड़ अनेक प्राकृतिक औषधीय  गुणों से भरपूर है। दाँतून बनाने, व अन्य चिकित्सकीय कार्यां में इसकी छाल का उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त इसके तेल व चूर्ण को भी अनेक औषधियों के रूप में तथा आयुर्वेद में इसके अनेक चिकित्सकीय उपयोग बनाए गये हैं।

यह पेड़ अपने प्राकृतिक ढंग से ही उगता है। माना जाता है कि चिड़ियों व अन्य पशु-पक्षियों के आवागमन व बीजों के संचरण से ही इसकी पौधें तैयार होती है ओर सुरक्षित होने पर एक बड़े वृक्ष का रूप लेती है।

आयुर्वेद में इसे काफल के नाम से जाना जाता है! इसकी छाल में मायरीसीटीन,माय्रीसीट्रिन एवं ग्लायकोसाईड पाया जाता है  विभिन्न शोध इसके फलों में एंटी-आक्सीडेंट गुणों के होने की पुष्टी करते हैं जिनसे शरीर में आक्सीडेटिव तनाव कम होता तथा हृदय सहित कैंसर एवं स्ट्रोक के होने की संभावना कम हो जाती है।

इसके फलों में पाए जानेवाले फायटोकेमिकल पोलीफेनोल सूजन कम करने सहित जीवाणु एवं विषाणुरोधी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं काफल को भूख की अचूक दवा माना जाता है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी इसका सेवन काफी लाभदायक है।  यह पेट की कई बीमारियों का निदान करता है और लू लगने से बचाता है।

काफल रसीला फल है लेकिन इसमें रस की मात्रा 40 प्रतिशत ही होती है। इसमें विटामिन सी, खनिज लवण, प्रोटीन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और मैग्निशीयम होता है।

 

यही नहीं काफल की छाल को उबालकर तैयार द्रव्य में अदरक और दालचीनी मिलाकर उससे अस्थमा, डायरिया, टाइफाइड जैसी बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। पेट गैस की समस्या दूर करने के लिये भी इसकी छाल का उपयोग किया जाता है। इसकी छाल का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाने से वह जल्दी ठीक होता है।

काफल खाना है तो पहाड़ जाना ही पड़ेगा क्योंकि हमने पहले भी लिखा था कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। इसलिए अभी तो काफल का सीजन नहीं है लेकिन जब होता है तब गाँव आईये, काफल खाईऐ ओर रोंगो से दूर हो जाईऐ।

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