कैलाश खैर का जन्म 7 जुलाई 1973 को हुआ। उनके पिता पुजारी थे वो ऐसे ही भक्तिमय गीत भजन गाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे खेर ने बचपन में कभी भी बॉलीवुड का गाना नहीं सुना था और ना ही कभी इन गीतों को गाने की प्रैक्टिस की, वो अपने पिता के गाए हुए कबीर और बाबा गुरुसाहेब की वाणी सुना करते थे।
दिल्ली मे आकर संगीत का ज्ञान अधूरा रह गया क्योंकि कैलाश खैर बिजनेस मेन बनना चाहते थे।
दिल्ली मे अब वो साडी की दुकान चलाने लगे तो उन्हे इस कारोबार मे नुकसान उठाना पडा यहां तक की उनकी जमा की गयी सम्पति भी लुट गयी अब इस नुकसान से उनमे डिपरेशन जैसी बिमारी पनपने लगी ओर उन्होने मन बनाया कि वो श्रषिकेश साधु संतो के साथ चले जाऐंगे।
श्रषिकेश की आवो हवा इन्हे भाने लगी ओर वो अपने स्वरों से सबको नचाने लगे। कुछ दिनों तक
वहीं रहे। वहां वे साधू-संतों के लिए गाना गाया करते थे। उनके गाने को सुनकर बड़े से बड़े संत झूम उठते थे। इससे कैलाश का कॉन्फिडेंस वापस आया और उन्होंने एक बार फिर म्यूजिक को अपना कॅरिअर बनाने का फैसला किया।
श्रषिकेश आने के बाद उन्हे लगा कि मैं अच्छा गा सकता हूं ओर उन्होने वहीं से मुम्मई के लिऐ रास्ता पकडा । किसी जिंगल ऐड मे गाने की शुरूहात कर 5000 रूपया मिला वह उनकी बडे समय बाद बड़ी कमाई थी। ओर फिर धीरे धीरे वो अपनी पहचान बनाते रहै ।
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